इंदौर : शनिवार को संसद में पेश किए गए वर्ष 2020-21 के बजट का आमतौर पर स्वागत किया गया है। किसान, मिडिल क्लास, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण को लेकर बजट में किये गए प्रावधानों की सराहना की गई है लेकिन उद्योगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर सवाल भी खड़े किए गए हैं। ये भी कहा जा रहा है कि रोजगार बढाने को लेकर बजट में खास प्रावधान नहीं किया गया है, जिसकी इस समय सबसे ज्यादा जरूरत थी।
पीपीपी मोड में भारत की अर्थव्यवस्था।
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2020- 21 का बजट भाषण देते हुए लगभग साफ कर दिया है कि भारत की अर्थव्यवस्था अब पीपीपी मोड में है। विकास का व्यापक खाका खींचा गया है जिसमें किसानों की विशेष परवाह की गई है। साथ ही युवाओं, गृहिणियों, रियल एस्टेट और कार्पोरेट क्षेत्र के लिए भी अनेक प्रावधान हैं। बजट के बारे में एक बात ज़रूर कही जा सकती है कि यह बजट अर्थव्यवस्था को दिशा देनेवाला है। इस बजट से अर्थव्यवस्था को निश्चित ही गति मिलेगी।
रोजगार पर ध्यान नहीं..
वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा का कहना है कि आयकर की दरों में किये गए बदलाव नौकरीपेशा लोगों के लिए राहत भरा कदम है लेकिन युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जो ठोस उपाय किये जाने चाहिए थे, उनका अभाव बजट में नजर आता है। इसी के साथ सोने की तस्करी रोकने के लिए आयात शुल्क कम किया जाना था जो नहीं किया गया है।
बाजार को मजबूती देने वाला बजट।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक मुकेश कुमार ने बजट को संतुलित और विकास को गति देने वाला बताया है। उनका कहना है कि बजट में किये गए प्रावधान बाजार को मजबूती देंगे जिससे अर्थव्यवस्था में उछाल आएगा। मुकेश कुमार ने आयकर की स्लैब बढाने और दरों में कमीं किये जाने को मध्यम वर्ग के लिए राहत भरा कदम बताया। बैंक जमा पर बीमा कवर 1से बढ़ाकर 5 लाख किये जाने का भी स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इससे जमाकर्ताओं का बैंक में रखा पैसा सुरक्षित हो जाएगा।
महंगाई, बेरोजगारी दूर करने के उपाय नहीं।
इंदौर के एक सांध्य दैनिक के जाने माने पत्रकार तपेन्द्र सुगंधी का कहना है कि बजट में मध्यम वर्ग को दिया गया तोहफा अधूरा है। आयकर के नए टैक्स स्लैब बनाकर दरों में कमीं करना तो ठीक है पर उसमें स्टैण्डर्ड डिडक्शन और हाउस रेंट एलाउंस सहित अन्य छूट लाभ से वंचित कर देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि महंगाई को नियंत्रित करने और रोजगार के अवसर बढाने को लेकर बजट में कुछ नहीं है। कुल मिलाकर बजट खास उम्मीदें नहीं जगाता है।