एंकर केवल प्रस्तुतकर्ता तक सीमित रहे तो सफल होता है : संजय पटेल
कला, संस्कृति और मेरी स्मृतियां विषय पर व्याख्यान। द्वितीय स्थान पर रहने पर भी प्रथम की उम्मीद बनी रहती है। इंदौर : मैं पढ़ाई में कभी अव्वल नहीं रहा, हमेशा सेकेंड ही पास हुआ लेकिन उससे मन में कभी हताशा नहीं हुई। एंकरिंग को प्रोफेशन तो बाद में बनाया पहले उसे एक जुनून की तरह ही जिया।थियेटर में आने से टीम वर्क सीखा और किशोरवय के संकोची स्वभाव की झिझक टूटी। एंकर केवल प्रस्तुतकर्ता तक सीमित रहे तो सफल होता और पढ़े