तेरे दूर जाने का ख्याल भी बहुत रुलाता है मां..
“माँ”तुम मेरी हो फिर भी मेरी क्यूँ नहीं,तेरी गोद जो कभी मेरी थी,वो गोद भी अब मेरी क्यूँ नहीं,अपना अंगूठा मुँह में लेकर मुझे,तेरा आँचल पकड़करफिर से तेरे पीछे चलना है,काश में फिर से छोटी हो जाऊँ,मुझे तेरी डाँट के साए में ही पलना है,बड़े होने की ज़िद ने मुझे तुझसे दूर कर दिया,ए ख़ुदा मैंने ऐसा क्या क़सूर कर दिया,अब ज़िम्मेदारियों की ज़ंजीरों मेंतेरी ही तरह उलझ सी गई हूँ मैं,सम्भाल ले मुझे माँ, बिख़र सी गई हूँ मैं,तेरे और पढ़े