अंतर्मुखी होना व्यक्तित्व का सामान्य लक्षण,किसी बीमारी का संकेत नहीं..

  
Last Updated:  January 21, 2025 " 03:07 pm"

अंतर्मुखी होने से दैनिक जीवन प्रभावित होने लगे तो मनोचिकित्सक से लें परामर्श..

अवर लाइव इंडिया. कॉम से चर्चा में बोले मनोचिकित्सक डॉ.बागुल ।

इंदौर : अक्सर हम घर – परिवार, पडौस, गली – मोहल्ले, रिश्तेदार या आस – पास ऐसे लोगों को देखते हैं जो अपने आप में मगन रहते हैं। किसी से ज्यादा बात नहीं करते, अकेला रहना पसंद करते हैं। बाहरी दुनिया से इनका वास्ता कम ही रहता है। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी वे संकोच करते हैं। क्या इस तरह का स्वभाव सामान्य बात है या किसी मानसिक बीमारी के लक्षण हैं..? क्या यह कोई जेनेटिक समस्या है या किसी घटना – दुर्घटना के कारण उनके नेचर में बदलाव आ जाता है। इन सारे सवालों को लेकर हमने शहर के ख्यात मनोचिकित्सक डॉ.बागुल से चर्चा की।

अंतर्मुखी होते हैं ऐसे लोग।

डॉ. बागुल ने बताया कि समाज से कटकर अलग – थलग रहनेवाले लोग अंतर्मुखी होते हैं। अंतर्मुखी होना व्यक्तित्व का सामान्य लक्षण है जिसमें व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को अपने अंदर ही रखता है और बाहरी दुनिया से कम संपर्क में रहता है। ज्यादातर विचारवान, बुद्धिजीवी लोग इस तरह के व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। ये लोग किसी भी मामले में गहराई से विचार और विश्लेषण करते हैं।इनका समस्याओं से जूझने का तरीका वैचारिक होता है।ऐसे लोग संवेदनशील तो होते हैं पर अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाते।इनकी दोस्ती कम ही लोगों से होती है। किसी घटना – दुर्घटना का भी ऐसे लोगों पर गहरा प्रभाव होता है।

कुछ मामलों में अंतर्मुखी होना मानसिक बीमारी का संकेत।

डॉ. बागुल ने बताया, यह आवश्यक नहीं है कि अंतर्मुखी होना किसी बीमारी का संकेत हो। हालांकि, कुछ मामलों में अंतर्मुखी होना कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, जैसे :- सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (सामाजिक चिंता विकार),डिप्रेशन (अवसाद),चिंता विकार, आत्म-संदेह आदि।

डॉ. बागुल के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति में उसके निकट संबंधी या परिचित अंतर्मुखी होने के लक्षण देखते हैं, तो यह आवश्यक नहीं है कि वह किसी बीमारी से पीड़ित है पर ऐसा लगता है कि अंतर्मुखी होना उसके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है, तो उसे एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर को दिखाकर परामर्श ले सकते हैं। अंतर्मुखी व्यक्तित्व के लोगों को अकेला छोड़ने की बजाय उनसे बातचीत का प्रयास करते रहना चाहिए। उन्हें सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।जितना संपर्क और संवाद का दायरा बढ़ेगा, अंतर्मुखी व्यक्ति अकेलेपन से बाहर निकल सकेगा और अपनी संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने में उसकी झिझक भी दूर हो सकेगी।

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