महापौर के आतिथ्य में दी गई भावपूर्ण विदाई।
इंदौर : शहर के पश्चिमी क्षेत्र स्थित अन्नपूर्णा मंदिर के नव श्रृंगारित ‘ अन्नपूर्णा लोक ’ को अपनी छैनी-हथौड़ी से 1200 से अधिक देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सजीव आकार देने वाले उड़ीसा के 40 शिल्पियों का एक गरिमापूर्ण समारोह में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मंदिर ट्रस्ट की ओर से मातारानी की चुनरी, श्रीफल, नए वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया और उन्हें भाव पूर्ण विदाई दी।
मंदिर के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि के सान्निध्य एवं मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष स्वामी जयेन्द्रानंद गिरि की मौजूदगी में इन सभी शिल्पियों को मंदिर ट्रस्ट की ओर से श्याम सिंघल, सुनील गुप्ता, सत्यनारायण शर्मा एवं बाहर से आए स्वामी प्रणवानंद गिरि, स्वामी विजयानंद गिरि एवं अन्य संत विद्वानों ने भावपूर्ण कार्यक्रम में मंदिर की सीढ़ियों पर सम्मानित किया। इन सभी शिल्पियों ने करीब 3 वर्षों तक इंदौर के अन्नपूर्णा आश्रम में रहते हुए दिन-रात मेहनत के बाद इस मंदिर को अन्नपूर्णा लोक के रूप में साकार किया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी इन सभी शिल्पियों का चुनरी ओढ़ाकर अभिनंदन किया और ट्रस्ट की ओर से पारिश्रमिक के साथ ही पुरस्कार की राशि भी भेंट की। नूतन श्रृंगारित मंदिर के परिसर में स्थापित भगवान भोलेनाथ को भिक्षा देते हुए मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के समक्ष मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान मनोहारी रंगोली का निर्माण करने वाली प्राची शर्मा को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
वहीं शहर के प्रथम नागरिक महापौर पुष्यमित्र भार्गव को भी उनके द्वारा प्रदत्त सहयोग के लिए मंदिर का रजत मंडित मॉडल भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री, किशोर गोयल, सुरेश बंसल, सुशील बेरीवाला सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे। शिल्पियों द्वारा मातारानी के जयघोष के बीच विदाई के क्षण काफी भावपूर्ण बन गए थे।
सुंदरकांड एवं भजन संध्या संपन्न।
अन्नपूर्णा लोक परिसर में सोमवार रात रणजीत हनुमान मंदिर के भक्तों द्वारा सुंदर कांड की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर भजन गायक प्रकाश गौड़ ने अपने साथियों सहित मां की आराधना में भजन प्रस्तुत किए। वृंदावन के कलाकारों ने भी सोमवार रात को अपनी मनोहारी प्रस्तुतियां देकर हजारों भक्तों को भाव विभोर बनाए रखा। रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास का भी अन्नपूर्णा लोक परिवार की ओर से सम्मान किया गया।