स्वास्थ्य सेवाएं हुई प्रभावित, मरीजों को लौटना पड़ा निराश।
इंदौर : चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर प्रदेश भर के शासकीय मेडिकल कॉलेजों और उनसे सम्बद्ध अस्पतालों के चिकित्सक अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर शुक्रवार को हड़ताल पर रहे। इंदौर में भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध एमवाय अस्पताल, कैंसर अस्पताल, चाचा नेहरू और अन्य अस्पतालों के चिकित्सक हड़ताल में शामिल हुए।आईएमए, इंदौर, जेडीए और अन्य संगठनों ने भी डॉक्टरों की इस हड़ताल को समर्थन दिया। इसके चलते स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई और मरीजों को निराश लौटना पड़ा।
एम वाय अस्पताल परिसर में किया धरना – प्रदर्शन।
तमाम चिकित्सकों ने शुक्रवार को एम वाय अस्पताल परिसर में लामबंद होकर धरना – प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी मांगों के प्रति असंवेदनशील होने का सरकार पर आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ नाराजगी जताई। जूनियर डॉक्टर भी इस धरना – प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों को आइएमए इंदौर के अध्यक्ष डॉ. अनिल भदौरिया, प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसो. के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल, सचिव डॉ. राकेश मालवीय, मेडिकल टीचर्स एसो. के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया, डॉ.राकेश गुप्ता, डॉ. अरविंद शुक्ला, डॉ. बजरंग सिंह और डॉ. प्रीति जैन सहित अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों ने संबोधित किया। उन्होंने डॉक्टर्स को एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया।
ये रखी मांगे।
मेडिकल टीचर्स एसो. के सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि चिकित्सकों की चार प्रमुख मांगे हैं
1, समयमान वेतनमान दिया जाए।
2, सातवे वेतन आयोग की विसंगतियां दूर की जाएं।
3, पुरानी पेंशन योजना बहाल हो।
4, मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पतालों में प्रशासनिक दखलंदाजी बंद की जाए।
डॉ. ठाकुर ने बताया कि इसी के साथ डॉक्टर्स को काम का अनुकूल माहौल प्रदान करने, सरकारी अस्पतालों में स्टॉफ और संसाधनों की कमी दूर करने, एमआरआई और सिटी स्कैन सहित तमाम अत्याधुनिक जांच उपकरण उपलब्ध कराने की मांग भी सरकार से की गई है।
मरीजों को लौटना पड़ा निराश।
सीनियर डॉक्टरों की हड़ताल में जूनियर डॉक्टरों के भी शामिल होने से एम वाय अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई। ओपीडी और इमरजेंसी में डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को बिना इलाज के ही निराश लौटना पड़ा। यह स्थिति पूरे प्रदेश में देखी गई।