अपर मुख्य सचिव और ईएनसी ने केरवा और कलियासोत डेम का किया निरीक्षण।
अपर मुख्य सचिव ने जलाशयों का 24 घंटे जायजा लेने और जल छोड़ने से पहले मुनादी कराने के दिए निर्देश।
भोपाल : प्रदेश में मानसून की लगातार बारिश होने से नदियों के साथ बाँध और जलाशयों के जल-स्तर में खासी बढ़ोतरी हो गई है, जिसकी राज्य स्तर पर स्थित बाढ़ आपदा नियंत्रण केन्द्र द्वारा सतत निगरानी रखी जा रही है। निचले क्षेत्रों में रहने वाली नागरिकों को समय पर सूचना दी जा रही है और आवश्यक ऐहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। जलाशयों के गेट खोल कर जल आवक को नियंत्रित किया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा किसी भी प्राकृतिक आपदा और बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
अपर मुख्य सचिव ने किया बाँध का निरीक्षण।
अपर मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा और ईएनसी मदन सिंह डाबर ने राजधानी भोपाल स्थित कलियासोत और केरवा बांध का निरीक्षण किया। इस दौरान विभाग के संबंधित अधिकारी भी मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान अपर मुख्य सचिव ने बताया कि भारी बारिश से पानी की आवक बढ़ी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जलाशय से पानी छोड़ने की स्थिति में बाँध के समीप और निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पहले अलर्ट किया जाए, उसके बाद ही पानी छोड़ा जाए, जिससे किसी प्रकार की आपातकालीन स्थिति नहीं बनें। श्री मिश्रा ने बताया कि जल-ग्रहण क्षेत्र में जल आवक के अनुसार ही पानी छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे स्थिति समान्य बनी रहे।
करीब डेढ़ दर्जन जलाशयों के खोले गए गेट।
कलियासोत बांध में 91.20 प्रतिशत भराव हो चुका है। भोपाल में भदभदा, कलियासोत, केरवा और खरगोन स्थित ओंकारेश्वर बांध, राजघाट बांध और खंडवा में इंदिरा सागर बाँध के गेट खोले गए हैं। इसके अलावा प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन बांध के गेट खोलने के स्थिति बन गई है। जल संसाधन विभाग के मैदानी अधिकारी लगातार निरीक्षण कर विभाग के मंत्री और संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट भेज रहे हैं। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी बाँधो में जलभराव की स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं।
जल विद्युत का उत्पादन बढ़ा।
बाँध और जलाशयों में पर्याप्त पानी आने से विद्युत उत्पादन बढ़ा है। खरगोन स्थित ओंकारेश्वर बाँध और खंडवा स्थित इंदिरा सागर बाँध से क्षमता अनुसार बिजली का उत्पादन हो रहा है।