इंदौर: वर्तमान समय में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। बात सिर्फ सूचनाओं के आदान- प्रदान तक सीमित नहीं रह गई है बल्कि जिंदगी के सुख- दुःख से जुड़े पल भी हम फ़ेसबुक, व्हाट्सएप्प और ट्विटर जैसे माध्यमों पर शेयर करने लगे हैं। जन्मदिन, शादी, वैवहिक वर्षगाठ या कोई भी खुशी का पल हम हो, हम सोशल मीडिया पर जरूर डालते हैं। उनको मिलने वाले लाइक्स और कमैंट्स का हमें इंतजार रहता है पर इंदौर निवासी नीरज याग्निक ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए ‘ई – उठावना’ की पहल की। हाल ही में उनके करीबी रिश्तेदार का निधन हुआ। उनके उठावना को लेकर नीरज ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी और तमान नाते- रिश्तेदार, मित्र, परिचित और शुभचिंतकों से आग्रह किया कि वे अपनी संवेदनाएं घर आकर प्रकट करने की बजाए सोशल मीडिया पर करें। कई लोगों को उनकी ये बात हैरान करनेवाली और अजीब लगी। हालांकि नीरज याग्निक का इसके पीछे अपना तर्क है। उनका कहना था कि हम उठावना कहें या शोक बैठक का समय, स्थान और तारीख तय करके उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए तमाम माध्यमों का सहारा लेते हैं। लोग अपना कामकाज छोड़कर नियत समय पर पहुचंकर अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करने निकल पड़ते हैं। इसमें उनका समय, श्रम, पैसा तो खर्च होता ही है। हैवी ट्रैफिक के बीच लंबा सफर तय कर नियत समय पहुंचने की जल्दी कई बार दुर्घटना का सबब भी बन जाती है। इसके अलावा दुःख साझा करने के लिए गमगीन होने की एक्टिंग करनी पड़ती है वो अलग, इन सब पहलुओं को देखते हुए उनके मन में ‘ई- उठावना’ का विचार आया। परिवार से सलाह के बाद उन्होनें सोशल मीडिया पर इसे पोस्ट किया और लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी संवेदनाएं वहीं साझा करें। नीरज का कहना है कि उनकी इस पहल को उनसे जुड़े लोगों का सकारात्मक प्रतिसाद मिला है। बड़ी संख्या में अपरिचित लोगों ने भी इस पहल की सराहना की और उनके दुःख को साझा किया।
अब उठावना भी हुआ वर्चुअल…!
Last Updated: July 1, 2019 " 09:22 pm"
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