इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर ने आयकर अधिनियम की धारा 148 (रिअसेसमेन्ट) याने जो आय गत वर्षों में कर दायित्व से छूट गई थी उस पर पुनः कर निर्धारण के प्रावधानों पर सेमिनार का आयोजन किया गया l मुख्य वक्ता सीए मनीष डफरिया ने सन्दर्भित विषय पर अपना उद्बोधन दिया।
अब 10 वर्ष तक की आय का हो सकता है पुनः कर निर्धारण।
श्री डफ़रिया ने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 148 व 148A में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं | पहले पुराने 6 वर्षों तक की आय का ही पुनः कर निर्धारण किया जा सकता था, अब आयकर विभाग पिछले 10 वर्षों तक की आय का पुनः कर निर्धारण कर सकता है | हालांकि इसमें करदाताओं को यह राहत दी गई है कि 3 वर्ष से अधिक समय बीत जाने की स्थिति में पुनः कर निर्धारण रु 50 लाख से अधिक की आय होने पर ही किया जा सकता है। आयकर की सर्च व सर्वे की स्थिति में भी कर निर्धारण इसी अनुसार होगा।
उन्होंने कहा कि आयकर विभाग के पास विभिन्न स्त्रोतों से सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं जिनमें गत वर्षों में कर के कम अथवा नहीं चुकाए जाने की जानकारी मिलती है |इन सूचनाओं के आधार पर आयकर अधिकारी उच्चाधिकारियों की पूर्व अनुमति लेकर करदाताओं को धारा 148 का नोटिस जारी करेंगे, जिसका जवाब 7 से 30 दिन के अंदर देना होगा | जवाब संतोषजनक ना होने की स्थिति में धारा 148 का नोटिस जारी कर करदाता को संबंधित वर्ष की आयकर विवरणी दाखिल करने हेतु कहा जाएगा व कर निर्धारण किया जाएगा |
नोटिस निर्धारित समय में देना जरूरी।
उन्होंने कहा कि ऐसा नोटिस निर्धारित समय सीमा में जारी होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि नोटिस जारी करने में एक दिन की भी देरी होने से सम्पूर्ण प्रक्रिया काल बाधित (Time Barred) हो सकती है।
करदाता को मिलेगा सुनवाई का मौका।
सीए मनीष डफरिया ने कहा कि नई प्रक्रिया में आयकर अधिकारियों से यह अपेक्षा की गई है कि कर निर्धारण प्रक्रिया प्रारंभ करने के पूर्व वे करदाता के साथ सारी जानकारी साझा करें और करदाता को अपनी बात कहने का यथोचित मौका दें क्योंकि हो सकता है कि जो सूचना उन्हें प्राप्त हुई हो उससे संबंधित आय पर करदाता ने कर का भुगतान पूर्व में ही कर दिया हो | विभाग के उच्चाधिकारियों को भी मामले को स्वीकृति देने के पूर्व यह संतोष करना होगा कि वास्तव में ऐसी कोई आय हैं जो गत वर्षों में कर दायित्व से बाहर रह गई है।
प्रक्रिया का सही तरीके से हो पालन।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर पुनः-करनिर्धारण की नई प्रक्रिया का सही तरीके से पालन होने पर इमानदार करदाता को बेवजह की परेशानी से मुक्ति मिलेगी और आयकर विभाग वास्तविक कर चोरी वाले मामलों पर ध्यान केंद्रित कर पाएगा।
पुनः कर निर्धारण के नियम में कई खामियां।
एडवोकेट एवं सीए हितेश चिमनानी ने कहा कि यदि नोटिस इशू करने में कोई प्रोसीज़रल गलती रह गई है तो उस दशा में हाई कोर्ट में रिट फ़ाइल कर राहत पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस नए सेक्शन में अभी कई ख़ामियाँ हैं जो आने वाले वर्षों में सरकार द्वारा दुरुस्त करने की सम्भावना है।
कार्यक्रम का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कियाl स्वागत भाषण टीपीए प्रेसिडेंट सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी ने दिया l इस अवसर पर सीए अशोक खासगीवाला, एडवोकेट महेश अग्रवाल, सीए प्रमोद तापड़िया, सीए विजय बंसल, सीए अभिषेक गांग, एडवोकेट गोविंद गोयल, सीए अजय सामरिया भी उपस्थित थेl