इंदौर : सांध्य कालीन अखबार हेलो हिंदुस्तान द्वारा स्थानीय गांधी हॉल में आयोजित तीन दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शनिवार को कई विचारोत्तेजक सत्र हुए। उदय माहुरकर ने वीर सावरकर पर लिखी अपनी किताब के हवाले से तथ्यों के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने गांधीजी और कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं को आगाह किया था कि जिस नीति पर वे चल रहे हैं, उससे देश का बंटवारा हो जाएगा। आखिर उनकी बात सच साबित हुई। चीन के मंसूबों लेकर भी उन्होंने तकालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू को चेताया था पर उनकी नहीं सुनी गई। नतीजा ये हुआ कि चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर दिया और हमारी हजारों मील जमीन हथिया ली। वास्तव में देश के विभाजन और लाखों लोगों की मौत की जिम्मेदार कांग्रेस है, जिसने बहुसंख्यकों के हितों की कीमत पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया।
सावरकर, अंबेडकर, अरविंदो ने किया था विरोध।
माहुरकर ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति का सावरकर के साथ बाबासाहब अंबेडकर और चिंतक अरविंदो ने भी विरोध किया था। पर उनकी नहीं सुनी गई। सावरकर चाहते थे कि गांधीजी और कांग्रेस जिन्ना को दरकिनार कर उन नेताओं को एकसाथ लाए जो विभाजन के विरोधी थे पर कांग्रेस नेताओं ने जिन्ना को ही आगे बढाया और उनके साथ डील कर ली। उसी का नतीजा विभाजन की त्रासदी के रूप में सामने आया। कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के फल हम आजतक कश्मीर में भुगत रहे हैं। विभाजन के लिए कांग्रेस पूरीतरह जिम्मेदार थी। अंग्रेजों ने उसमें भागीदारी निभाई।
पाकिस्तान को तोड़ कर खत्म किया जा सकता है विभाजन का दर्द।
लेखक उदय माहुरकर ने कहा कि विभाजन के दर्द को हम तभी कम कर सकते हैं जब पाकिस्तान के अस्तित्व को समाप्त किया जाए। बलूच और सिंध पाकिस्तान से अलग होना चाहते हैं। हमें उनका साथ देना चाहिए।
माहुरकर के साथ बातचीत की डॉ. निशांत खरे ने। इस सत्र की अध्यक्षता उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे ने की। आयोजकों की ओर से प्रवीण जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार मुकेश तिवारी ने माना।