अहिल्या माता गौशाला में पंचगव्य से किया गया एक लाख दीपों का का निर्माण

  
Last Updated:  October 28, 2020 " 11:28 pm"

इंदौर : केसरबाग रोड़ स्थित अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत एवं ‘वोकल फाॅर लोकल’ के आह्वान को देखते हुए बड़ा कदम उठाया है। इस बार दीपावली पर पंचगव्य से एक लाख ऐसे दीपों का निर्माण किया जा रहा है, जो पानी और अग्नि से भी सुरक्षित रहेंगे तथा इनमें किसी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं होगा।
इन दीपों के अलावा लक्ष्मी, गणेश, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, ओम जैसे शुभ प्रतीकों के साथ वैदिक दीपक भी बनाए गए हैं। इनके निर्माण में गोबर, दूध, दही, गौमूत्र एवं घृत का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा पांच तरह की पवित्र मिट्टी का उपयोग भी हुआ है। चीन से हर वर्ष आने वाले दीपकों के उपयोग को निरूत्साहित करने और इन दीपों की बिक्री का कुछ अंश गौशालाओं को देने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू किया गया है। इसे जबर्दस्त प्रतिसाद मिलने लगा है। अब तक 60 हजार दीपों की बिक्री हो चुकी है। आम लोगों के लिए गौशाला परिसर स्थित दुकान पर सुबह 10 से दोपहर 4 बजे तक इन दीपों की बिक्री की जा रही है। गौशाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष रवि सेठी, सचिव पुष्पेंद्र धनोतिया, संयोजक सीके अग्रवाल ने बताया कि दीपावली के इस दौर में हर कोई चाहता है कि महालक्ष्मीजी उसके घर पर विराजमान हो और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें। शास्त्रोक्त एवं पौराणिक तथ्य है कि गौमाता में 33 कोटि देवताओं का वास रहता है वहीं गौमाता के गोबर में तो साक्षात लक्ष्मी का वास माना गया है। इस दीपावली पर पंचगव्य से अहिल्या माता गौशाला पर एक लाख दीपों का निर्माण किया जा रहा है, इसके साथ ही अनेक शुभ प्रतीक भी बनाए जा रहे हैं। इनका मूल्य भी आम आदमी की पहुंच में रखा गया है। दीपों का मूल्य औसतन 4 से 5 रू. तथा अन्य प्रतीक चिन्हों के दाम भी काफी किफायती रखे गए हैं। इनके निर्माण में पिछले 15 दिनों से 50 से अधिक महिलाएं जुटी हुई हैं। इनकी बिक्री से प्राप्त धनराशि का कुछ भाग कामधेनु गौशाला को भी दान किया जाएगा। इनमें जिन रंगों का प्रयोग किया गया है वे साधारण और रसायनमुक्त रंग हैं। चीन से हर वर्ष बड़ी संख्या में विदेशी और रसायनयुक्त दीपों का आयात होता रहा है लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर इन पंचगव्य से बने दीपों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पूरे देश में उनके एवं राष्ट्रीय कामधेनू आयोग की अपील पर इस बार एक करोड़ ग्यारह लाख दीपों का निर्माण करने की योजना क्रियान्वित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि इसके पूर्व गणेश उत्सव में गोबर से निर्मित गणेशजी और रक्षाबंधन पर भी कुछ उत्पाद बनाए जा चुके हैं।

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