इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर द्वारा आयकर के नए रिटर्न फ़ॉर्म्स, अपडेटेड रिटर्न, आयकर की धारा 12-A, 80-G एवं चैरिटेबल संस्थाओं के द्वारा दाखिल किए जाने वाले फ़ॉर्म 10BD के सम्बंध में सेमिनार का आयोजन शुक्रवार को टीपीए हाल में किया गया।
सीए दीपक माहेश्वरी ने बताया कि बजट 2022 में वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि जो करदाता अपने बीते सालों का रिटर्न फाइल नहीं कर पाए हैं उन्हें कुछ अतिरिक्त कर के साथ रिटर्न भरने का एक मौका और दिया जाएगा। बजट की घोषणा के अनुसार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस वर्ष पिछले 2 सालों के इनकम टैक्स रिटर्न को भरने के लिए अपडेटेड रिटर्न के नाम से एक नया रिटर्न फॉर्म जारी किया है, जिसके अंतर्गत करदाता अपने पिछले 2 सालों के इनकम टैक्स रिटर्न; जिन की अवधि समाप्त हो चुकी है, दाखिल कर पाएगा। इस तरह इस सुविधा का लाभ उठाकर करदाता भारी भरकम पेनल्टी और प्रॉसीक्यूशन की कार्रवाई से अपने आप को सुरक्षित कर सकेगा। इस संबंध में आयकर विधान में नई धारा जोड़ी गई है, जिसमें इस बारे में विस्तृत प्रावधान दिए गए है।
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने की तिथि व्यक्तिगत करदाताओं के लिए 31 जुलाई रहती है वहीं असेसमेंट ईयर 2021-22 के लिए बिलेटेड रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2022 है l यदि कोई व्यक्ति अपना इनकम टैक्स रिटर्न इन दिनांक तक दाखिल नहीं कर पाता था तो उसके पास रिटर्न दाखिल करने या रिवाईस करने का कोई ऑप्शन नहीं रहता था l इस प्रावधान से टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिली है l
इसके मुताबिक, 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक अपडेटेड रिटर्न फाइल करने पर सामान्य टैक्स एवं इंटरेस्ट का 25 फीसदी टैक्स लगेगा। 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक अपडेटेड रिटर्न फाइल करने पर सामान्य टैक्स एवं इंटरेस्ट का 50 फीसदी तक टैक्स लगेगा।
सीए माहेश्वरी ने कहा कि सरकार कि यह मंशा है कि विभाग को करदाता के वित्तीय व्यव्हार के सम्बन्ध में सारी जानकारी रिटर्न के माध्यम से मिल जाए इसीलिए आयकर रिटर्न फॉर्म में अनेक नए संलग्नक, परिशिष्ट एवं जानकारियां जोड़ी गई है। करदाता द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अपने पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी का मिलान कर पाएगा। इस बारे में किसी तरह की अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई कर सकता है
उन्होंने कहा कि प्रत्येक करदाता को रिटर्न दाखिल करते समय सारे आंकड़ों का एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट से जरूर मिलान करना चाहिए। एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट करदाता के इनकम टैक्स पोर्टल पर उपलब्ध रहता है। इसमें करदाता के वित्तीय संव्यवहारों से संबंधित विस्तृत जानकारी, जो आयकर विभाग के पास में उपलब्ध है; प्रदर्शित होती है। एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट तथा रिटर्न में दाखिल की गई किसी जानकारी में यदि अंतर होता है तो विभाग स्पष्टीकरण मांग सकता है। यहाँ तक कि आयकर विभाग केस स्क्रूटिनी में लेकर पुनः कर निर्धारण जैसी कार्रवाई भी कर सकता है।
उन्होंने कहा कि जो करदाता व्यवसाय से अपनी आय अर्जित नहीं करते उनके लिए बही खाते रखना जरूरी नहीं है। लेकिन यदि ऐसे किसी करदाता की वार्षिक आय 50 लाख से ऊपर हो तो उसे अपनी संपत्ति एवं दायित्व की सही जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में भरना आवश्यक है। यदि वह इस संबंध में शेड्यूल “ए एल” को नहीं भरता है या गलत तरीके से भरता है तो न केवल अपूर्ण रिटर्न के लिए नोटिस जारी हो सकता है बल्कि भविष्य में उसकी संपत्तियों को प्राप्त करने के लिए गए किए गए खर्चों का स्रोत संबंधी विवरण देने में करदाता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
सीए प्रणय गोयल ने आयकर अधिनियम की धारा 12A व धारा 80G के तहत पारमार्थिक ट्स्ट व संस्थाओं को प्राप्त आयकर छूट के सम्बन्ध में`निर्धारित नियमों को समझाते हुए कहा कि आयकर में सभी फार्म केवल इलेक्ट्रॉनिक मोड में ही प्रस्तुत होंगे, मेन्युअली कुछ भी कार्य नहीं होगा ।
उन्होंने कहा कि पहले पारमार्थिक संस्थाएं जो कि अलग अलग धाराओं में रजिस्टर्ड होती थीं उनके लिए आयकर में छूट प्राप्त करने हेतु अलग अलग प्रक्रिया अपनानी होती थींl नए नियमों के अनुसार समस्त पारमार्थिक संस्थाओं को; चाहे धारा 12 A में या धारा 10(23) C के तहत पंजीकृत हो, एक समान प्रक्रिया का पालन करना होगाl
सीए प्रणय गोयल ने बताया फर्जी दान दिखाकर आयकर छूट लेना अब संभव नहीं हैl इसकी रोकथाम के लिए आयकर विभाग ने फार्म 10बीडी जारी किया है जिसे पारमार्थिक संस्थाओं को 31 मई तक अनिवार्य दाखिल करना आवश्यक हैl उक्त फॉर्म दाखिल करने के पश्चात् पोर्टल से प्रत्येक दानदाता के सम्बन्ध में एक प्रमाण पत्र फॉर्म 10बीई जनरेट होगा जो कि संस्था द्वारा प्रत्येक दानदाताओ को अनिवार्य रूप से देना होगाl दानदाता इसी फॉर्म के आधार पर अपने आयकर रिटर्न में दिए गए दान के विरुद्ध आयकर से छूट क्लेम कर सकेंगे l
नये रजिस्टर्ड ट्रस्ट को विभाग प्रोविज़नल प्रमाण पत्र जारी करेगा जिन्हें 3 साल के अन्दर अन्य निर्धारित जानकारी तथा संस्था के द्वारा किये गए कार्यों का विवरण देकर स्थायी कराया जा सकेगा । अब संस्था को ख़र्च बाबद छुट वास्तविक भुगतान करने पर ही प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि नए नियमों में पारमार्थिक संस्थाओं का प्रबंधन सावधानी से करना होगाl यदि ट्रस्टीज़ दुरूपयोग करते पाए गए तो संस्था की छूट समाप्त करके, शास्ति व अभियोजन की कार्रवाई भी की जा सकेगी ।
सेमिनार का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया l स्वागत अभिभाषण पूर्व अध्यक्ष सीए मनोज गुप्ता ने दियाl अतिथियों का स्वागत टीपीए प्रेसिडेंट सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी तथा वाइस प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ ने किया l इस अवसर पर सीए प्रमोद गर्ग, सीए सोम सिंघल, सीए सत्यनारायण गोयल, एडवोकेट गोविन्द गोयल, सीए संकेत मेहता, सीए सुनील पी जैन सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे।