इंदौर से जुड़े मुद्दों को हमेशा तरजीह देते थे स्व. छजलानी

  
Last Updated:  March 23, 2023 " 07:09 pm"

इंदौर : (राजेंद्र कोपरगांवकर) दो दशक पूर्व बिकने से पहले तक नईदुनिया सिर्फ इंदौर ही नहीं पूरे मध्यभारत की आवाज हुआ करता था। नईदुनिया में छपी खबर शासन – प्रशासन तंत्र को हिलाकर रख देती थी। तत्कालीन नईदुनिया की सबसे बड़ी खासियत थी उसकी पठनीयता और विश्वसनीयता। मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के दम पर कतिपय अखबार भले ही नईदुनिया से आगे निकलने में कामयाब रहा पर शुद्धता, स्पष्टता, सामाजिक सरोकार और खबरों की विश्वसनीयता के मामले में नईदुनिया का कोई मुकाबला नहीं था। नईदुनिया को इंदौर की, जनता की आवाज बनाने वाले व्यक्ति कोई थे तो वे उसके प्रधान संपादक अभय छजलानी। बाबू लाभचंद छजलानी द्वारा शुरू किए गए नईदुनिया रूपी पौधे को वटवृक्ष का स्वरूप देने का काम उनके सुपुत्र अभय छजलानी ने किया। कई पीढ़ियां नईदुनिया पढ़कर बड़ी हुई।मात्राओं को गलती तो नईदुनिया में ढूंढे नहीं मिलती थी। यही नहीं सबसे बड़ी संदर्भ लाइब्रेरी अगर किसी अखबार में थी तो वो नईदुनिया था। हिंदी पत्रकारिता की तो नईदुनिया नर्सरी था। कई दिग्गज पत्रकार नईदुनिया से निकले जिन्होंने प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर पर अपना बड़ा मुकाम बनाया। अभयजी के रहते नईदुनिया का वो रूतबा रहा कि आम हो या खास, मुख्यमंत्री हो या शीर्ष अधिकारी सभी उनके दरबार में हाजिरी बजाने पहुंच जाते थे। नईदुनिया में काम करना पत्रकारों के लिए गौरव की बात होती थी। पुरानी पीढ़ी में कई ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी नईदुनिया को समर्पित कर दी।

इंदौर से जुड़े मुद्दों को हमेशा तरजीह दी।

स्व. अभय छजलानी की प्रदेश व शहर से जुड़े मुद्दों पर गहरी पकड़ थी। नईदुनिया के प्रधान संपादक रहते उन्होंने जनता और सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को हमेशा प्राथमिकता दी। इंदौर में नर्मदा जल लाने के लिए अस्सी के दशक में चलाए गए आंदोलन की अगुवाई अभय जी के नेतृत्व में नईदुनिया ने ही की थी। शिक्षा, साहित्य, कला, संस्कृति, खेल और शहर में विकास की धारा को गति देने में स्व. छजलानी की अहम भूमिका रही। आईआईएम, आईआईटी जैसे शिक्षा संस्थान, टेबल टेनिस का इंडोर स्टेडियम अभय प्रशाल उन्हीं के प्रयासों की देन हैं। टेबल टेनिस से तो उनका गहरा जुड़ाव रहा। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का कार्यक्रम इंदौर में करवाने के साथ राष्ट्रीय स्तर का लता अलंकरण प्रारंभ करवाने का श्रेय भी स्व. अभय छजलानी को जाता है। इंदौर के कला, साहित्य को नईदुनिया में अहम स्थान मिलता था, उसकी वजह अभय जी ही थे। वे हिंदी पत्रकारिता का जैसे घराना थे। उनके जाने से पत्रकारिता जगत में जो शून्य पैदा हुआ है, उसकी भरपाई शायद ही कभी हो सकेगी। Ourliveindia.com परिवार उनके श्रीचरणों में नमन करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *