इंदौर : न्यायिक क्षेत्र पीड़ितों को इंसाफ दिलाने का सशक्त माध्यम है। शायद इसीलिए जिनके मन में पीड़ितों, शोषितों के प्रति संवेदना होती है, वे न्यायपालिका का हिस्सा बनने की ओर प्रेरित होते हैं। ऐसा ही एक नाम है इंदौर निवासी आयुषी श्रीवास्तव। आयुषी का सपना था सिविल जज बनकर लोगों को इंसाफ दिलाने का। उन्होंने इसे अपना लक्ष्य बना लिया और उसे हासिल करने में जुट गई। कड़ी मेहनत, लक्ष्य के प्रति समर्पण और सतत प्रयासों की बदौलत आयुषी ने अपने सपने को हकीकत में बदल दिया। सिविल जज के रूप में उनका चयन हो गया। उन्हें 80 वी रैंक प्राप्त हुई है।
न्यायिक सेवा के प्रति था रुझान।
आयुषी का कहना था कि उनके परिवार में कोई भी न्यायिक सेवा से जुड़ा नहीं है पर मेरा न्यायिक क्षेत्र के प्रति शुरू से ही रुझान था। इसीलिए 12 वी पास करने के बाद मैने बीए एलएलबी ऑनर्स में एडमिशन ले लिया। लॉ करते हुए ही सिविल जज बनने की तैयारी शुरू कर दी। लक्ष्य को पाने के लिए मैंने सोशल मीडिया और मनोरंजन के माध्यमों से दूरी बना ली। अपना पूरा ध्यान परीक्षा की तैयारी पर लगाया। धैर्य, समर्पण और मेहनत का ही परिणाम था की मेरे प्रयास रंग लाए और सिविल जज के रूप में चुनी गई।
असफलता से निराश नहीं होना चाहिए।
आयुषी का कहना था कि असफलता से कभी निराश नहीं होना चाहिए। मैं भी तीन बार असफल हुई पर चौथे प्रयास में सिविल जज की परीक्षा पास कर अपना मुकाम हासिल कर लिया। 2019 में मैने सिविल जज की परीक्षा के लिए अप्लाई किया था। कोरोना के चलते प्रायमरी परीक्षा मार्च 2021 और मेन परीक्षा सितंबर 2021 में आयोजित की गई। उसके बाद इंटरव्यू हुआ। मेन परीक्षा और इंटरव्यू के अंक मिलाकर मेरिट के आधार पर मेरा चयन सिविल जज के लिए हो गया।
परिजन, गुरुजनों और सहयोगियों का मिला साथ।
आयुषी के मुताबिक अपने सपने को साकार करने में उन्हें माता – पिता, परिवार, परिचित और गुरुजनों का पूरा साथ मिला। उन्होंने हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।