उर्जा संकट से निपटने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों के इस्तेमाल पर जोर

  
Last Updated:  October 19, 2021 " 03:19 pm"

इंदौर : हम अधिक से अधिक सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल करें। ई-वाहन चलाएं। प्रदूषणमुक्त ऊर्जा का उत्पादन करें। नागरिक बोध का परिचय देकर ऊर्जा बचत के लिए लोगों को जागरूक करें। कोयला उत्पादन और वितरण की ऐसी नीति बनाएं, जिससे ऊर्जा संकट खड़ा ही न हो। देश और दुनिया में आज भी 70 प्रतिशत ऊर्जा का उत्पादन कोयले से होता है। अत: कोयला भंडारों की सुरक्षा करें, क्योंकि इस बार मानसून देर तक सक्रिय होने के कारण खदानों में पानी अधिक भर गया, जिसके कारण उत्पादन कम हुआ और देश में ऊर्जा की एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई। ऊर्जा बचत, कुशल प्रबंधन और सही ऊर्जा नीति से हम ऊर्जा संकट से निजात पा सकते हैं।
ये विचार विभिन्न प्रबुद्धजनों के हैं जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब सभागार में ‘वर्तमान बिजली परिदृश्य, हमारी जिम्मेदारी और समाधान’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन सेवा सुरभि, इंदौर प्रेस क्लब और एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश ने संयुक्त रूप से किया था।

बिजली की बचत जरूरी।

इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि ऊर्जा संकट एक गंभीर समस्या है। इस पर हम सभी को गंभीरता के साथ सोचने-विचारने की जरूरत है। त्योहार करीब आ रहे हैं और ऊर्जा की खपत भी अधिक होगी। अत: हमें जन-जन को जागरूक करना होगा। उन्हें अपनी जिम्मेदारी भी बताना होगी कि बिजली की बचत जरूरी है, साथ ही सरकार को भी कोयला उत्पादन अधिक बढ़ाना होगा, ताकि ऊर्जा संकट से बचा जा सके।

ऊर्जा संकट को लेकर सरकारें गंभीर नहीं।

विषय प्रवर्तन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी ने कहा कि देश में ऊर्जा की कमी एक सबसे बड़ा संकट और चुनौती है। हम तभी जागते हैं जब संकट भयावह हो जाता है। देश में बिजली को लेकर न तो कोई नीति है और न ऊर्जा संकट को लेकर सरकार गंभीर है। एक तरफ तो हम कहते हैं कि हमारा देश का युवा आईटी सेक्टर में पूरी दुनिया में सिरमौर है और जब ऊर्जा का इतना बड़ा संकट आ जाएगा तो सारी आईटी इंडस्ट्रीज का कोलेप्स होना लाजिमी है। जब नागरिक लापरवाह हो जाते हैं तो सरकार अंधी हो जाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिस देश में वर्ष के 300 दिन सूर्य की रोशनी मिलती है, वहां हमारे नए इंजीनियरों ने घरों के अंदर ऊर्जा खपत के इतने सारे मॉडल बना लिए जिसके कारण ऊर्जा की अधिक खपत हो रही है।

ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा के बारे में सोचने की जरूरत।

मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि. (कमर्शियल) के डायरेक्टर मनोज झंवर ने कहा कि यदि हम एक यूनिट बिजली खपत करते हैं तो पौन किलो कोयला जलता है, इससे जो प्रदूषण फैलता है, वह संपूर्ण मानव जाति के लिए नुकसानदेह है। अत: बिजली बचाना, बिजली का उत्पादन कम करने से अधिक जरूरी है, मानव जाति को बचाना। हमें एक ऐसा समाज बनाना है जिसमें ऊर्जा का उत्पादन तो हो, लेकिन प्रदूषण कम से कम हो। इस दिशा में हम ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा के बारे में सोच सकते हैं, परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल अमेरिका, जापान, रूस अधिक कर रहे थे, लेकिन जापान में हुई परमाणु संयंत्र त्रासदी के बाद अब पश्चिमी देशों में भी परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम होता जा रहा है। कोयला और गैस ही ऐसे दो स्रोत हैं जिससे अधिक बिजली बनाई जा रही है।

120 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाएगा नगर निगम।

नगर निगम विद्युत विभाग के सिटी इंजीनियर राकेश अखंड ने कहा कि बिजली का सबसे बड़ा उपभोक्ता नगर निगम है, जो प्रतिमाह 20 करोड़ रुपए का बिल केवल जल वितरण (जलूद प्लांट से इंदौर तक पानी लाने में लगने वाली ऊर्जा) का भरता है और 2 करोड़ रुपए सार्वजनिक ट्यूबवेल का। इसके अलावा करीब पौने तीन करोड़ रुपए स्ट्रीट लाइट का। इस तरह निगम बिजली विभाग को हर माह करीब 25 करोड़ रुपए का भुगतान करता है। इंदौर में एक लाख तैंतीस हजार स्ट्रीट लाइट हैं, जो भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर की कुल स्ट्रीट लाइट से अधिक है। निगम ने विगत वर्षों में बिजली बचत की शुरुआत की थी, जिसके तहत अभी तक 74315 स्ट्रीट लाइट को एलईडी में बदल दिया गया। निगम एक नया एमओयू साइन किया है, जिसके बाद दिसंबर अंत तक बाकी सभी स्ट्रीट लाइट को एलईडी में बदल दिया जाएगा, इससे प्रतिमाह 30 से 35 फीसदी बिजली की बचत होगी। निगम ने आठ करोड़ 34 लाख रुपए केवल कार्बन क्रेडिट से कमाए, जो एक बड़ी उपलब्धि है। निगम शीघ्र ही 120 मेगावॉट का सोलर पॉवर प्लांट लगाने जा रहा है, जिससे बड़ी मात्रा में बिजली की बचत होगी। इसके पूर्व निगम कबीटखेड़ी में भी एक प्लांट लगा चुका है, उससे भी हमें बिजली की बचत हो रही है।

ऊर्जा विकास निगम के गिरीश क्यूलेट ने कहा कि देश में दिनोंदिन ऊर्जा के भंडार कम होते जा रहे हैं। अत: हम अधिक से अधिक सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल करें। सेंसीटिव लाइट का इस्तेमाल करें, विंड हाइवे प्रोजेक्ट बनाएं, ई-रिक्शा चलाएं और प्राकृतिक ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। घरों में अधिक से अधिक डोमेस्टिक सोलर पॉवर प्लांट लगाए, ताकि कम से कम ऊर्जा की खपत हो।

जापान से सीखें ऊर्जा संग्रहण।

उद्योगपति दीपक दरियानी ने कहा कि जिस तरह हम अन्य वस्तुओं का संग्रह करते हैं, उसी प्रकार ऊर्जा का भी संग्रह करें। जापान जैसे देश भी ऊर्जा का संग्रह करते हैं। हम उनसे सीख लेकर अपने यहां के ऊर्जा संकट को दूर कर सकते हैं।

कोयला उत्पादन और वितरण नीति बदलाव लाए सरकार।

उद्योगपति सतीश भल्ला ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष जितना अधिक कोयला उत्पादन का दावा किया था, उसमें वह खरी नहीं उतरी। हालांकि मानसून का देरी से आना और देर तक बने रहने के कारण कोयला खदानों में पानी भर गया। कोरोना काल में इंडस्ट्री के कम चलने के कारण कोयला उत्पादन भी कम हुआ और जब एकदम ऊर्जा की मांग बढ़ी तो संकट खड़ा हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी कोयला उत्पादन और उसके वितरण की नीति में भी बदलाव करना चाहिए।

पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉ. गौतम कोठारी ने कहा कि बिजली की बचत ही बिजली का उत्पादन है। सरकार कमजोर वर्ग को बिजली में अधिक सब्सिडी देती है तो वे इसका बेजा इस्तेमाल करते हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

सामाजिक कार्यकर्ता अजीतसिंह नारंग ने कहा कि मानसून के देर तक बने रहने के कारण कोयला खदानों में उत्पादन कम हुआ। दूसरा चीन की सीमा पर बड़ी मात्रा में कोयला पड़ा है, उसे सरकार समय सीमा में उठा नहीं सकी। ऐसे में कुशल प्रबंधन से ही हम ऊर्जा बचा सकते हैं।

उद्योगपति दिलीप देव ने कहा कि हमें ऊर्जा के नए-नए स्रोत तलाश करने की जरूरत है। हम ऐसी ऊर्जा का उत्पादन करें जिसमें कम से कम प्रदूषण हो।

उद्योगपति अनिल जैन ने कहा कि ऊर्जा संकट एक बड़ी समस्या है। आज जरूरत है कि हम बिजली उपकरणों पर ऑटोस्टापर लगाएं, ताकि जरूरत न होने पर या प्रोडक्शन न होने पर वह स्वत: ही बंद हो जाएं।

डीएवीवी के ऊर्जा विभाग के संजय सिंह ने कहा कि हम ऊर्जा उत्पादन और खपत में संतुलन बनाकर रखें। सोलर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है।

सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कोठारी ने कहा कि नागरिक बोध से ही ऊर्जा संकट से निपटा जा सकता है। हर नागरिक ऊर्जा की कीमत समझे और अनावश्यक कार्यों में ऊर्जा का बेजा इस्तेमाल नहीं करे। वह दूसरों को भी जागरूक करे।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। अतिथि स्वागत सेवा सुरभि के संयोजक ओमप्रकाश नरेडा ने किया। कार्यक्रम का संचालन अतुल सेठ ने किया। अंत में आभार माना एआईएमपी के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने। इस अवसर पर पर्यावरणविद डॉ. ओ.पी. जोशी, रामेश्वर गुप्ता, शिवाजी मोहिते, शिक्षाविद श्रीद्धांत जोशी, अभय तिवारी, राहुल वावीकर, प्रवीण सावंत, राजू रायकवार, प्रवीण जोशी, प्रदीप मिश्रा, सांवरमल शर्मा, बृजभूषण चतुर्वेदी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

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