32 किलोमीटर का ठेका टैक्समाको कम्पनी को मिला।
इस माह इंदौर-भोपाल प्रोजेक्ट में निर्माण की रफ्तार हो गई दोगुनी।
इंदौर : इंदौर – भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट की अब लगातार समीक्षा के साथ मैदानी अवलोकन किया जा रहा है, ताकि प्रायोरिटी कॉरिडोर पर अगस्त-सितम्बर में ट्रायल रन मुख्यमंत्री की मंशा अनुरूप लिया जा सके। जनवरी माह में निर्माण कार्य की रफ्तार दो गुना तक हो गई है और प्रायोरिटी कॉरिडोर से संबंधित 90 फीसदी सिविल कार्यों की ड्राइंग और डिजाइन भी फाइनल कर ठेकेदारों को उसका जिम्मा सौंप दिया गया है। फरवरी माह के अंत तक जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड द्वारा ट्रैक की पहली खेप भिजवा दी जाएगी। बाद जिन ठेकेदार फर्मों को पटरियां बिछाने का काम दिया है वे प्रायोरिटी कॉरिडोर और डिपो में पटरियां बिछाने का काम शुरू करेंगी। इंदौर में टैक्समाको कम्पनी को 259 करोड़ में ठेका दिया गया है। चार कम्पनियों ने टेंडर डाले, जिनमें से दो कम्पनियां अयोग्य पाई गई।
मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक मनीषसिंह लगातार इंदौर-भोपाल प्रोजेक्ट की समीक्षा के साथ ही फटाफट टेंडरों को मंजूर करने के अलावा मैदानी अवलोकन भी कर रहे हैं। पिछले दिनों इंदौर प्रोजेक्ट की समीक्षा और गांधी नगर मेट्रो स्टेशन सहित प्रायोरिटी कॉरिडोर का उन्होंने अवलोकन भी किया। वहीं अभी शनिवार को भोपाल प्रोजेक्ट का अवलोकन किया गया। प्रबंध संचालक को दोनों प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए संबंधित इंजीनियरों, ठेकेदार फर्मों ने बताया कि नवम्बर की तुलना में जनवरी में निर्माण कार्य की रफ्तार दो गुनी हो गई है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। देश के किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट में ऐसा नहीं हुआ। प्रायोरिटी कॉरिडोर में भी आगे की प्लानिंग के लिए अभी से सुपर स्ट्रक्चर के डिजाइन तय कर दिए गए हैं ताकि अगले कार्य में जो 5 से 6 महीने डिजाइन में ही लग जाते थे उसकी भी बचत होगी।
फरवरी माह के अंत तक ट्रैक की पहली खेप जिंदल स्टील एंड पॉवर लि. द्वारा डिलीवर कर दी जाएगी, जिसके बाद ठेकेदार फर्मों द्वारा पटरियों को बिछाने का काम शुरू किया जाएगा। भोपाल में एलएनटी तथा इंदौर में आईएससी और टैक्समाको जेवी को पटरियां बिछाने का ठेका मिला है। 259 करोड़ में लगभग 32 किलोमीटर के तय किए गए ट्रैक पर उक्त फर्मों द्वारा पटरियां बिछाई जाएंगी। इस कार्य के लिए चार ठेकेदार फर्मों ने टेंडर जमा किए थे, जिसमें फाइनेंशियल बीड के दौरान दो कम्पनियां अयोग्य करार दी गई, जिसमें रेल विकास निगम लिमिटेड के अलावा विजय निर्माण कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल रही। जबकि लॉर्सन एंड ट्रूबो यानी एलएनटी ने 262.32 करोड़ का टेंडर भरा, जबकि टैक्समाको रेल एंड इंजीनियरिंग ने 258.88 करोड़ रुपए का टेंडर दिया, जो कम होने से पिछले दिनों मंजूर किया गया। लगभग 32 किलोमीटर यलो लाइन इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की पटरियां अब इस फर्म द्वारा बिछाई जाएगी। इसके लिए पटरियों को सप्लाय करने का ठेका जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड को दिया गया है। प्रबंध संचालक मनीष सिंह के मुताबिक भोपाल और इंदौर प्रोजेक्ट में फंडिंग एजेंसी यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक भोपाल तथा एशियन डवलपमेंट बैंक इंदौर में है। फेज-1 में बचे हुए कॉरिडोर के टेंडर डॉक्यूमेंट को भी समीक्षा और मंजूरी के लिए तैयार कर लिया गया है। फरवरी माह में इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। भोपाल में सुभाष नगर से करोंद चौराहा तथा भदभदा चौराहा से रत्नागिरी चौराहा शामिल है, तो इंदौर में पलासिया से रेडिसन चौराहा के लिए यह अधिसूचना जारी होना है। अवलोकन के दौरान अजय शर्मा निदेशक प्रोजेक्ट शोभित टंडन, संजय सिंह महाप्रबंधक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ठेकेदारों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।