इंदौर में प्याज की सरकारी खरीद शुरू नहीं होने पर भाकियू ने उठाए सवाल

  
Last Updated:  June 7, 2022 " 10:03 pm"

इंदौर : दो दिन पूर्व आलू, प्याज कमीशन एजेंट एसोसिएशन द्वारा प्रेस वार्ता लेकर मंडी कर्मचारियों के जरिए प्याज की नीलामी करवाने के मप्र कृषि उपज मंडी बोर्ड के आदेश का विरोध किया गया था। इसके जवाब में भारतीय किसान यूनियन की मप्र इकाई ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने किसानों से जुड़े कई मुद्दे उठाते हुए बिचौलियों पर किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।

मंडी बोर्ड का आदेश लागू हो।

भारतीय किसान यूनियन, मप्र के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव और अन्य पदाधिकारियों ने इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के जरिए आरोप लगाया की इंदौर की आलू प्याज मंडी में आज दिनांक तक कृषि उपज मंडी बोर्ड द्वारा 24 मई 2022 को जारी आदेश लागू नहीं किया गया है। इस आदेश में किसानों के प्याज की नीलामी मंडी कर्मचारियों के जरिए करवाने का निर्देश दिया गया था। श्री यादव के मुताबिक मप्र की अन्य मंडियों में प्याज की सरकारी खरीद शुरू हो गई है पर इंदौर में अभी तक इसपर अमल शुरू नहीं हुआ है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

ये उठाए अन्य मुद्दे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने किसानों से जुड़े अन्य कई मुद्दे भी उठाए। उनका कहना था कि:-

तौल पर्ची, भाव पर्ची और भुगतान पत्रक के बगैर बिचौलियों द्वारा किसानों से खरीदी की जा रही है, मंडी प्रशासन की मिलीभगत से ये काम हो रहा है। इससे सरकार व किसानों को लाखों रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बिचौलियों द्वारा किसानों को खाली बारदान का भुगतान नहीं किया जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इंदौर को छोड़ मप्र की अन्य मंडियों में किसानों को खाली बारदान का भी भुगतान किया जाता है।

बिचौलियों द्वारा खरीददारों से 2 फीसदी कमीशन लेने का प्रावधान है जबकि 5 फीसदी कमीशन वसूला जा रहा है। इसका भार अंततः किसानों को ही उठाना पड़ता है।

बिचौलियों का ये कहना कि लहसुन व प्याज में वायरस लगने के कारण किसानों उनका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, गलत और हास्यास्पद है।

इंदौर मंडी में बिचौलिए ही व्यापारी भी बन बैठे हैं। ये भी एक वजह है कि किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पाता।

इंदौर मंडी में किसानों की उपज की पूरी तुलाई नहीं की जाती, एवरेज निकालकर फसल की खरीदी की जाती है, जबकि हम्माली पूरी ली जाती है।

किसानों की सुविधा के लिए बनवाए गए किसान भवनों का अनुचित उपयोग किया जा रहा है, जो किसानों के साथ नाइंसाफी है।

मंडी प्रशासन द्वारा खरीददारों से लिए जा रहे मंडी शुल्क में भी गोलमाल किया जा रहा है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव के मुताबिक उनका संगठन बिचौलियों की बीते 20 वर्षों की आय का विवरण आरटीआई लगाकर प्राप्त करेगा इससे यह स्पष्ट हो जाएगा की सरकार और किसानों से अबतक कितनी लूट की गई।

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