इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की फील्ड रिपोर्टिंग में नाज़ ने बनाया ऊंचा मुकाम

  
Last Updated:  March 8, 2022 " 06:44 pm"

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष।

नब्बे के दशक तक देश, प्रदेश और शहर में मीडिया के नाम पर केवल प्रिंट मीडिया का बोलबाला था। न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दखल था और सोशल मीडिया शब्द तो अस्तित्व में ही नहीं था। अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के साथ नई तकनीक का आगमन होने लगा और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी। 1995 के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तेजी से पैर पसारने लगा। नए- नए राष्ट्रीय और प्रादेशिक चैनलों ने दस्तक देना शुरू कर दी। प्रतिस्पर्धा बढ़ी तो 24 घंटे के न्यूज चैनलों की दरकार होने लगी और देखते ही देखते कई चैनलों ने 24 घंटे पल- पल की खबरों को दिखाना शुरू कर दिया। इसके चलते ऐसे पत्रकारों की डिमांड बढ़ गई जो टीवी स्क्रीन पर साफ और स्पष्ट उच्चारण के साथ प्रभावी ढंग से खबरों को दर्शको तक पहुंचा सके। शहरों और गांवों में भी ऐसे पत्रकारों की मांग बढ़ गई जो दिनभर दौड़भाग कर जल्दी से जल्दी खबरों को दर्शकों तक पहुंचा सके। खबरों की दुनिया में यह एक तरह का रिवोल्यूशन था।

महिला पत्रकारों के लिए बढ़े अवसर।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आगमन और फैलाव का सबसे बड़ा लाभ महिला पत्रकारों को मिला। प्रिंट मीडिया में उससमय तक गिनी- चुनी महिला पत्रकार ही काम करती नजर आती थीं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया महिला पत्रकारों के लिए स्वर्णिम अवसर लेकर आया। ज्यादातर चैंनलों में एंकर के बतौर महिला पत्रकार नजर आने लगी। ये मौका था जब महिला पत्रकारों का दखल मीडिया में बढ़ने लगा था। हालांकि इसके बावजूद मैदानी पत्रकारिता में महिलाओं की रुचि कम थी। ज्यादातर की चाहत स्टूडियो में बैठकर एंकरिंग करने और लाइव डिबेट का हिस्सा बनने की ही होती थी। चुनिंदा महिला पत्रकार ही फील्ड रिपोर्टिंग में उतरने का साहस व जोखिम उठाने में आगे आती थी। इंदौर की बात करें तो गिनती की महिला पत्रकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मैदानी पत्रकारिता में नजर आती थीं। उनमें से एक नाम था नाज पटेल का।

फील्ड रिपोर्टिंग में मनवाया लोहा।

नाज़ पटेल के लिए पुरुषों के वर्चस्व वाले पत्रकारिता क्षेत्र में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। लड़की होकर खबरों के लिए दौड़भाग करना, स्पॉट रिपोर्टिंग करना, खबरों के लिए संपर्कों का नेटवर्क तैयार करना, बड़ी खबरों को ब्रेक करना, रात हो या दिन कोई भी बड़ी खबर न चुके इस बात का ध्यान रखना नाज़ के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था पर उसने इस चुनौती से दो- दो हाथ करने की ठानी और जुट गई उस शिखर तक पहुंचने की जद्दोजहद में जहां उसका नाम भी सम्मान के साथ लिया जाए।

कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक चैनलों में दर्ज कराई दमदार उपस्थिति।

करीब 16- 17 वर्ष पहले नाज़ ने सहारा समय मप्र- छत्तीसगढ़ में बतौर रिपोर्टर अपनी पारी शुरू की। यहां रहते नाज़ को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बारीकियां सीखने और फील्ड में आनेवाली चुनौतियों से सामना करने का हौसला दिया। उसके बाद नाज़ को टाइम्स नाउ जैसे राष्ट्रीय चैनल में भी काम करने का मौका मिला।

आंखों – देखी के लिए बन गई क्राइम रिपोर्टर।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने वाले पत्रकारों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह हर विषय की पत्रकारिता में अपना दखल रखे। वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह के दूरदर्शन पर आने वाले लोकप्रिय कार्यक्रम ‘आंखों- देखी’ में नाज़ को क्राइम से जुड़ी खबरें और स्टोरीज करने का मौका मिला। नाज़ ने इस चुनौती को भी स्वीकार किया और हर उस खबर को कवर कर के चैनल तक पहुंचाया, जिसकी दरकार चैनल को हुआ करती थी। शुरुआती दौर में क्राइम रिपोर्टिंग में परेशानी जरुर आई पर ये नाज़ की हार न मानने वाली जिद ही थी कि उसने क्राइम रिपोर्टिंग में भी अपना वजूद कायम किया।

इसके बाद नाज़ ने साधना न्यूज मप्र- छत्तीसगढ़ जॉइन कर लिया। उस दौर में साधना न्यूज की प्रादेशिक चैनलों में अलग पहचान हुआ करती थी। इस चैनल में काम करते हुए नाज़ को वो सारी खबरें, स्टिंग आपरेशन, स्पेशल स्टोरीज, देश और प्रदेश के बड़े नेताओं के इंटरव्यूज करने का मौका मिला जो वह करना चाहती थी।

विधानसभा चुनाव में प्रदेशभर में की पॉलिटिकल रिपोर्टिंग।

साधना न्यूज में रहते नाज़ को 2008 का विधानसभा चुनाव कवर करने की बड़ी चुनौती मिली। इस चुनौती को भी सफलता पूर्वक पूरा करते हुए नाज़ ने मप्र के कई शहरों का दौरा किया और तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य की नब्ज टटोली।

ई टीवी – न्यूज 18 में भी लहराया परचम।

नाज का अगला पड़ाव ईटीवी- न्यूज 18 मप्र- छत्तीसगढ़ चैनल रहा। इस प्रतिष्ठित चैनल में सीनियर रिपोर्टर और बाद में इंदौर ब्यूरो चीफ रहते हुए नाज़ ने अपनी रिपोर्टिंग की धाक जमाई।

मोदी,अमित शाह से लेकर तमाम दिग्गज नेताओं के किए इंटरव्यू।

नाज़ ने विभिन्न चैंनलों में रहते गुजरात के तत्कालीन मुख्यंमत्री नरेंद्र मोदी (जो अब प्रधानमंत्री हैं) वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शाहनवाज हुसैन सहित कई दिग्गज नेताओं के इंटरव्यू किए। इसी के साथ कई फिल्मी कलाकारों और अन्य क्षेत्रों की बड़ी हस्तियों के टॉक शो करने का भी मौका उसे मिला।

खेल और सामाजिक क्षेत्र में भी रिपोर्टिंग कर नाज़ ने साबित किया कि वह हर फील्ड में अपनी पकड़ रखती है। इंदौर में हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच की भी उसने कुशलता के साथ रिपोर्टिंग की।

इंडिया न्यूज के साथ जारी है सफर।

ढेर सारी उपलब्धियां और कई सम्मान पाने वाली इंदौर की बेटी नाज़ का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सफर सतत जारी है। वर्तमान में वह नेशनल चैनल इंडिया न्यूज में अपनी रिपोर्टिंग जारी रखे हुए है। नाज़ की यही चाहत है कि कामयाबी से भरा मैदानी पत्रकारिता से जुड़ा उंसका सफर अविरत चलता रहे और जब भी इंदौर व मप्र के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मैदानी महिला पत्रकारों का जिक्र हो, उनमें उसका नाम आदर और सम्मान के साथ लिया जाए।

बहरहाल, महिला पत्रकार होते हुए भी मैदानी पत्रकारिता में पुरुषों से ज्यादा बेहतर काम करके दिखाने वाली नाज पर सिर्फ उसके परिजनों और परिचितों को ही नहीं पूरी पत्रकारिता बिरादरी को नाज़ है।

राजेन्द्र कोपरगांवकर

वरिष्ठ पत्रकार

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