इंदौर : ऊपर से देखने में सत्तारूढ़ बीजेपी में सबकुछ ठीक नजर आ रहा है पर अंदर ही अंदर असंतोष का लावा उबल रहा है, जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है।पार्टी को खड़ा करने और उसके लिए अपने- आपको झोंक देने वाले नेता और कार्यकर्ता अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। खासकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के बीजेपी में आने के बाद पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हाशिये पर चले गए हैं। कांग्रेस से आयातित लोगों की पूछपरख बढ़ने के साथ उन्हें मलाईदार पदों पर भी पदस्थ किया जा रहा है इससे पार्टी के लिए सबकुछ कुर्बान करने वाले कार्यकर्ता नाराज हैं। उन्हें लगता है कि ये वो बीजेपी नहीं है जो उसूलों की बात करती थी। जो कुशाभाऊ ठाकरे और अटलजी के पदचिन्हों पर चलते हुए कार्यकर्ताओं को सर्वाधिक तवज्जो देती थी। यही कारण है कि नाराजगी के स्वर बीच- बीच में फूट पड़ते हैं।
उमेश शर्मा का छलका दर्द।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा एक ऐसे ही नेता हैं जिन्हें योग्य होते हुए भी पार्टी में उचित मुकाम नहीं मिला। पहले वे नगर अध्यक्ष के दावेदार थे पर उन्हें निराशा हाथ लगी। उसके बाद उन्हें पूरी उम्मीद थी कि आईडीए के अध्यक्ष पद से नवाजा जाएगा पर वहां भी उनकी उम्मीदों पर तुषारापात हो गया। हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आए हर्षवर्धन बर्वे को सोशल मीडिया संयोजक बनाए जाने पर उमेश शर्मा भड़क गए। उन्होंने अपनी पार्टी के नगर अध्यक्ष पर बरसते हुए सोशल मीडिया पर लिखा ‘पार्टी में योग्यता का कत्ल हो रहा है।’ उन्होंने आगे लिखा “गौरव बाबू ऐसे तो आपको इंदौर भाजपा चलाने नहीं देंगे, जब आप कांंग्रेसी थे तब हम आपकी सरकार की लाठियां झेल रहे थे।” उमेश शर्मा ने नगर अध्यक्ष के लिए लिखा ‘आपकी पृष्टभूमि NSUI की है तो क्या बीजेपी को ऐसी बना दोगे।’
हालांकि उनकी बात पर मचे सियासी बवाल के बाद वरिष्ठ नेताओं के दबाव में उमेश शर्मा ने अपने बयान को लेकर खेद तो प्रकट कर दिया पर इस समूचे घटनाक्रम से ये बात तो साफ हो गई कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है। किसी भी दिन असंतोष के ये स्वर बड़ी बगावत में भी बदल सकते हैं।