एक करोड़ से ज्यादा की रिटर्न इनकम होने पर ही एसेट लायबिलिटी का शेड्यूल दाखिल करना जरूरी..

  
Last Updated:  May 13, 2025 " 04:34 pm"

आयकर रिटर्न फॉर्म्स और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में महत्वपूर्ण बदलावों पर सेमिनार सम्पन्न।

इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, इंदौर एवं इंदौर सीए शाखा के संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान एसेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म्स (आईटीआर) एवं टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (फॉर्म 3सीडी) में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों पर विस्तृत चर्चा की गई।

सेमिनार का संचालन कर रहे टीपीए के मानद सचिव सीए डॉ. अभय शर्मा ने बताया कि इस वर्ष समय से विभाग द्वारा रिटर्न फॉर्म जारी कर दिये गए हैं जो स्वागत योग्य है। इससे समय पर टैक्स कंप्लायंस और विभाग की और से टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन संभव हो सकेगा । उन्होंने कहा कि अब विभाग रिटर्न प्रोसेसिंग में एआई की सहायता भी ले रहा है इसलिए रिटर्न प्रिपरेशन एवं सब्मिशन में पूर्ण सावधानी रखने की आवश्यकता है l

टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीए जे.पी. सराफ़ ने बताया कि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में सबसे महत्वपूर्ण टूल आईटीआर होता है क्योंकि ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करते ही विभाग का सिस्टम उपलब्ध सारी जानकारियों से रिटर्न डेटा मैच कर अंतर की दशा में स्वतः नोटिस जारी करता है। अतः आवश्यक है कि रिटर्न पूर्ण सावधानी से प्रीपेयर किया जाए।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सीए दीपक माहेश्वरी द्वारा आयकर रिटर्न में हुए विभिन्न तकनीकि और कानूनी संशोधनों को बेहद व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझाया गया। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स में की गई नवीनतम प्रविष्टियों के पीछे की मंशा पारदर्शिता को बढ़ाना और डेटा के समुचित मिलान को सुनिश्चित करना है।

सीए दीपक माहेश्वरी ने बताया कि इस वर्ष से रिटर्न में एमएसएमई से सम्बंधित समय पर भुगतान से जुड़ी धारा 43B(h) की रिपोर्टिंग करना आवश्यक होगीl इसी प्रकार कैपिटल गेन शेड्यूल में 22 जुलाई 2024 के पहले एवं इसके बाद हुए विक्रय की डिटेल अलग अलग दर्शानी होगीl
सीए माहेश्वरी ने बताया कि पहले 50 लाख से ज़्यादा की रिटर्न इनकम दर्शाने पर रिटर्न में एसेट लायबिलिटी का शेड्यूल दाखिल करना होता था अब नए नियमों के अनुसार 1 करोड़ से ज़्यादा की रिटर्न इनकम होने पर ही एसेट लायबिलिटी का शेड्यूल दाखिल करने का दायित्व होगा।

उन्होंने बताया कि 01/10/2024 तक शेयर बायबैक पर हुए गेन पर टैक्स की लायबिलिटी कंपनी के ऊपर थी। इसके बाद के शेयर बायबैक पर यह लायबिलिटी शेयर होल्डर पर आती हैl इनसे सम्बंधित डिस्क्लोज़र अब रिटर्न में देना होंगे l यहाँ नए प्रावधान में एक विसंगति है कि अब जितनी राशि शेयर बायबैक के कारण मिली है उस समस्त राशि के ऊपर शेयर होल्डर को टैक्स देना होगा। उसमें से किसी भी लागत यहाँ तक कि खरीदी लागत की भी छूट नहीं मिलेगी जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धात के विपरीत हैl उन्होंने कहा कि एआईएस/टीआईएस विवरण का मिलान करके ही रिटर्न दाखिल करें, ताकि संभावित नोटिस से बचा जा सके। आयकर कानून में हाल ही में की गई व्याख्याओं, जैसे शेयर बायबैक पर होने वाले नुकसान को मान्यता देने एवं 112A के तहत दीर्घकालिक पूंजी लाभ पर छूट की सीमा बढ़ाए जाने, को भी उदाहरण सहित समझाया गया।

सेमिनार का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए (डॉ.) अभय शर्मा ने किया। इस अवसर पर सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी, सीए प्रकाश वोहरा, सीए मनोज गोयल, सीए अविनाश खंडेलवाल, सीए विजय बंसल, नीलेंदु दवे, गोविंद गोयल, सीए संकेत मेहता, सीए उमेश गोयल, सीए योगेश तलवार, सीए निलेश माहेश्वरी सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे l

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