एटेक्सिया के मरीजों का पहला राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन 8 व 9 अक्टूबर को इंदौर में होगा

  
Last Updated:  October 7, 2022 " 01:27 am"

इंदौर : एटेक्सिया अवेयरनेस सोसायटी द्वारा दिनांक 8-9 अक्टूबर 2022 को एटैक्सिया के मरीजों के लिए अक्षत गार्डन, फूटी कोठी, रिंग रोड, इंदौर में 2 दिवसीय राष्ट्रीय स्तर का शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इसमें दोनों दिन सुबह 9.30 बजे से शाम तक विभिन्न सत्रों में
पिछले 35 वर्षों से एटेक्सिया से संबंधित कारण और उपचार को लेकर विशेषज्ञों के ऑनलाइन व्याख्यान, समूह चर्चा, फिजियोथेरेपी, मोटिवेशनल सेशन और स्पीच थेरेपी के सत्र होंगे। एटेक्सिया सोसायटी की संस्थापक स्वस्ति वाघ ( स्वयं इस रोग से पीड़ित ), संरक्षक – मार्गदर्शक वरिष्ठ न्यूरालॉजिस्ट डॉ. ए. पुराणिक, सचिव नरेन्द्र एदलाबादकर, कोषाध्यक्ष जागृति उपासनी, सह सचिव ज्योति जोशी, उपाध्यक्ष डॉ. ज्योत्स्ना भौरास्कर, अशोक द्विवेदी, श्रीमती एस. सोनी और श्री बॅनर्जी ने प्रेस क्लब इंदौर में गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता के जरिए यह जानकारी दी।

एटेक्सिया मरीजों का पहला शिखर सम्मेलन।

उन्होंने बताया कि भारत में पहली बार इस बीमारी से जुड़ा शिखर सम्मेलन विशेष रूप से मरीजों के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मलेन में भाग लेने के लिए गुजरात, पुणे, मुंबई, दिल्ली आदि से प्रतिभागी मरीज आ रहे हैं। ऐसे मरीजों की विशिष्ट जरूरतों को देखते हुए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। राष्ट्रीय स्तर के चिकित्सा संस्थानों एम्स नई दिल्ली, आईजीआईबी बैंगलोर, हैदराबाद, अमेरिका और यूके के एटेक्सियां डोमेन विशेषज्ञ 8 अक्टूबर को होने वाली आॅनलाइन पैनल चर्चा के माध्यम से अपना मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।इसमें एम्स के डॉ. अचल श्रीवास्तव, यूके से डॉ. अनुपम गुप्ता, बंगलुरु से डॉ. प्रमोद पाल, अमेरिका से डॉ. रमैया मुठ्याला, और हैदराबाद से डॉ. मोहम्मद फारुख शामिल हैं।

मरीजों के लिए होगा फिजियोथेरेपी सत्र।

मरीजों के लिए फिजियोथेरेपी सत्र आयोजित करने के लिए मुंबई से फिजियोथेरेपिस्ट की एक टीम आ रही है। सम्मेलन में स्पीच थेरेपी और मोटिवेशनल टॉक के सत्र भी होंगे।

दुर्लभ प्रकार की बीमारी है एटेक्सिया।

बताया जाता है की एटेक्सिया मस्तिष्क से जुड़ी एक दुर्लभ बीमारी है, जो लाखों में किसी एक को होती है। इसमें मरीज के अंगों का समन्वय कमजोर होने लगता है। तंत्रिका तंत्र का नियमन प्रभावित होने लगता है। हाथ – पांव, शरीर में कमजोरी आ जाती है। मरीज का शरीर पर कंट्रोल नहीं रहता और अंततः उसकी जिंदगी व्हीलचेयर पर सिमट कर रह जाती है।

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