कबीर कैफे बैंड की प्रस्तुति के साथ इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का समापन

  
Last Updated:  October 2, 2023 " 03:56 pm"

डिजिटलाइजेशन किताबों को रिप्लेस नहीं कर सकता।

जीवन में इमोशन नहीं होंगे तो जिंदगी चैट जीपीटी में बदल जाएगा।

डाक्टरों ने दिल पर एक से बढ़कर एक कविताएँ सुनाई।

नीरज आर्या कबीर कैफे बैंड की धमाकेदार प्रस्तुति ने युवाओं को झूमने पर मजबूर किया।

इंंदौर : डेली कॉलेज में आयोजित इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का समापन रविवार को प्रतिष्ठित साहित्यकारों के साथ संवाद, रोचक काव्य पाठ ,पुस्तक विमोचन और ज्वलन्त विषयों पर गर्मागर्म बहस के साथ हुआ। साहित्य, कला और संस्कृति के इस उत्सव में पाठकों ने लेखकों के साथ न केवल बातचीत की वरन उनका लिखा साहित्यमय हस्ताक्षर के साथ खरीदा और साथ में सेल्फी भी ली।

यह जानकारी इंदौर लिटरेचर सोसायटी के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने दी। फ़ेस्टिवल के पहले सत्र की शुरुआत काव्य पाठ से हुई। इस सत्र में द्रोणाचार्य दुबे , सुषमा शर्मा, पुष्पा दसोंधी, राजेश भंडारी बाबू, विभा भटोरे, शालिनी बडोले, चंद्रमणि दफ्तरी, हेमलता शर्मा, ममता शर्मा, अर्चना पंडित ने मालवी और निमाडी बोली में रोचक काव्य पाठ किया। सत्र का संचालन एकता कशमीरे ने किया। दूसरा सत्र बेस्ट सेलर लेखिका प्रीती शिनाय के नाम रहा। उन्होंने कहा कि मेरी 14 वर्षो में 15 किताबें छप चुकी हैं। मेरी एक किताब को पाठकों द्वारा रिजेक्ट भी किया गया। मेरी किताबें जेन्डर इकवालिटी , कास्ट डिस्क्रीमीनेशन जैसे विषयों पर बेस्ड होती हैं। डिजिटलाइजेेशन किताबों को रिपलेस नहीं कर सकता।

इमोशन नहीं होंगे तो जीवन चैट जीपीटी बन जाएगा।

वरिष्ठ लेखक, कालमिस्ट और मोटिवेशनल स्पीकर चेतन भगत ने कहा कि मेरी अधिकांश किताबें लव स्टोरी पर बेस्ड होती हैं। फिल्म 3 इडियट्स को बने एक दशक से अधिक हो गया, लेकिन उसकी कहानी आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। हमारा जीवन करियर, हेल्थ और रिलेशनशिप पर टिका हुआ हैं। अगर एक भी पिलर डगमगा जाएं तो हम जीवन का मजा नहीं ले पाएगें। ओरों की हेल्प करो, खुद को कितना चमकाओगे। जीवन मे इमोशन का होना भी जरुरी हैं, अगर नहीं होगा तो हमारा जीवन भी चैट जीपीटी बन जाएगा। व्यक्ति को इंंटेलिजेंट और स्ट्रोंग होना जरुरी नहीं है। जो आदमी नेचर के साथ ग्रौ करें वो ही व्यक्ति सक्सेसफुल हैं। जिंदगी हर 10 – 15 साल में बदल जाती है। टाइम के साथ हमें भी बदलना पड़ता है। हमें हिंदी भाषा मे संवाद करना चाहिए। हम नही करेंगे तो क्या गोरे लोग हिंदी में बात करेंगे। इस मौके पर स्कूूली छात्र प्रशस्त प्रशांत चौबे की गांधीजी पर अंग्रेजी भाषा मे लिखी पुस्तक का विमोचन चेतन भगत ने किया। पाठकों दारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब भी चेतन भगत ने बड़ी रोचकता के साथ दिए। फेस्टिवल में बडी संख्या में कलाप्रेमी और साहित्य अनुरागीयों की अच्छी खासी उपस्थिति रही।

हम सभी एक ही परम पिता की संतान हैं।

आई पी एस अधिकारी और लेखक नियाज खान ने कहा कि हम सब एक ही परम पिता की संतान हैं। और सभी सनातनी है। कर्म के आधार पर केवल 4 वर्ण है। हिंदू, वैश्य, क्षत्रिय और शुद्र। ब्राह्मण सबसे श्रेष्ठ हैं, वह दया, ज्ञान और धर्म का प्रतीक है। जितने भी शंकराचार्य, वेदांती और पंडित हुए वे सब ब्राह्मण हुए। चरक, सुश्रुत, भारद्वाज सब ज्ञानी और दृष्टा थे। पश्चिम भी आज हमारे वेद, पुराण और उपनिषद पर लगातार शोध और अनुसंधान कर उनसे सीख रहा और हमारे ज्ञान को मान रहा है। दुर्भाग्य से हम पश्चिम के ज्ञान और संस्कृति की लगातार नकल कर रहे हैं। अंगेजी में बात करना और टाई कोट पहनने मे हम गर्व का अनुभव कर रहे है ,जो गलत है। बालीबुड हॉलीबुड् की नकल कर रहा है। धोती, कुर्ता, पगड़ी पहनना हम भूलते जा रहे, सिर पर शिखा रखने मे हम शर्म महसूस कर रहे हैं। विष्णुगुप्त चाणक्य सबसे बड़े ब्राह्मण और ज्ञानी थे। उनको पढ़कर हम धर्म, नीति, मूल्य, सिद्धांत जैसी बातें सीख सकते हैं।

अगला सत्र घाव करे गंभीर, विषय पर था, जिसका संचालन साहित्यकार डॉ, आशुतोष दुबे ने किया। संवाद मे
प्रसिद्ध व्यंग्यक्रार और कवि पदमश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा कि पात्र के चरित्र में घुसे बगैर अच्छी रचना नहीं की जा सकती है। चरित्र को जीने के बाद ही एक अच्छी रचना बनती है। एक पाठक के लिए कोई रचना एक पेज या छोटी सी हो सकती है, लेकिन रचनाकार के लिए कई दिनों के परिश्रम का प्रतिफल होती है। जब तक रचना रचनाकार के मस्तिष्क में पकती नहीं है, तब तक वह उसको कागज पर नहीं उतारता है। व्यंग्य विधा कठिन होती है, इस लिए देश में कम व्यंग्यकार है। अंग्रेजी भाषा में तो बहुत ही कम है, लेकिन उर्दू भाषा में अधिक है। व्यंग्य गंभीर होते है और वे तीर की तरह चुभते हैं। चुटकलेबाजी और कॉमेडी करना व्यंग्य नहीं हैं।

अगला सत्र उभरते किशोर और युवा कवियों के नाम रहा। इस मौके पर स्वप्निल अरोरा, प्रशांत चौबे, अजीम उदीन, संजीव बंसल, चेताली नाथ, मिषिका मेहता, कार्तिकेय लाड़, वरुण वधावा, ध्रुव धाकड ने अपनी पुस्तकों के बारे में बताया और काव्य पाठ किया। संचालन खुशी शर्मा और रिया वाइकर ने किया।

समान नागरिक संहिता विषय पर भी चर्चा हुई जिसमें मध्यप्रदेश हिंदी परिषद के निदेशक डाॅ विकास दवे, इंदौर हाई कोर्ट की उपमहाधिवक्ता अर्चना खेर, एडवोकेट मिनी रविन्द्र ,राम निवास बुधौलिया, डाॅ संगीता भरुका ने विचार रखें। संचालन चक्रपाणि दत्त मिश्र ने किया।

युवा कवियत्री और वाह भई वाह फेम मनु वैशाली ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया।

अगला सत्र ऐसे डाक्टरों के नाम रहा जिनके दिल में कविताएं धडकती हैं इस मौके पर डाॅ भरत रावत, डाॅ. अपूूर्व पौराणिक, डाॅ के रोशन राव, डाॅ. आवेग भंडारी, डाॅ. पीयूष जोशी, डाॅ. अनिरुद्ध व्यास ने कविताएं सुनाई।कार्यक्रम का संचालन लेखिका तृप्ति मिश्रा ने किया।

अतिथि स्वागत डेली कॉलेज की प्राचार्य डाॅ गुरमीत बिन्द्रा ने किया। फेस्टिवल का समापन नीरज आर्या कबीरा कैफे बैंड की संगीतमय प्रस्तुति से हुआ । नीरज आर्या के बैंड को सुनने इतने कला प्रेमी आएं की कार्यक्रम शुरु होने से पहले ही हॉल भर गया। लोगों बैंड की प्रस्तुति का पूरा लुत्फ उठाया।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *