बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर।
बिहार की राजनीति में कहलाते थे जन नायक।
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के पहले मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से बयान जारी कर ये जानकारी दी गई है।
जारी बयान में कहा गया है कि भारत सरकार को यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिवंगत नेता कर्पूरी ठाकुर को दिया जा रहा है। वह भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय के पुरोधा और एक प्रेरणादायक शख्सियत थे। यह सम्मान समाज के वंचित वर्ग के उत्थान में कर्पूरी ठाकुर के जीवनभर के योगदान और सामाजिक न्याय के प्रति उनके अथक प्रयासों को श्रद्धांजलि है।
कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को 100वीं जन्म जयंती से पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस ऐलान के बाद मोदी सरकार का आभार जताया है।
कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल मिला है। मैं अपने परिवार और बिहार के 15 करोड़ो लोगों की ओर से मोदी सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।
दो बार बिहार के सीएम रहे कर्पूरी ठाकुर।
बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने
कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहकर संबोधित किया जाता है। उनका जन्म समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में नाई समाज में 24 जनवरी 1924 को हुआ था। वह साल 1952 में पहली विधायक चुने जाने के बाद आजीवन किसी न किसी सदन के सदस्य रहे। 1970-79 के बीच बिहार के-दो बार मुख्यमंत्री और बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। अपने जीवनकाल में कर्पूरी ठाकुर के इतने अहम पदों पर रहने बावजूद उनके पास न तो घर था और ना ही कोई गाड़ी। यहां तक कि उनके पास अपनी पैतृक जमीन भी नहीं थी। राजनीति में ईमानदारी, सज्जनता एवं लोकप्रियता ने कर्पूरी को जननायक बना दिया था। कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 वर्ष की उम्र में 17 फरवरी 1988 को हुआ। कर्पूरी ने आजीवन कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति की थी। कर्पूरी राजनीति में परिवारवाद के प्रबल विरोधी थे। जीवित रहने तक उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया।