* गोविंद मालू *
इंदौर : एक मीडिया समूह पर कार्रवाई माफियाओं के खिलाफ मुख्यमंत्री की छद्म लड़ाई का नमूना है। बहुचर्चित हनी ट्रेप मामले की जाँच सरकार करे, सारे दस्तावेज उसके पास हैं तो फिर ये मीडिया तक कैसे पहुँचे? इतने प्रकाशन के बाद शासन की नींद अचानक कैसे खुली? यह जाँच और कार्रवाई के सामने खड़ा असली सवाल है।
आज मुख्यमंत्री के माफ़िया को नहीं बख्शने के भभकी भरे बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविन्द मालू ने तीखा वार किया। उन्होंने कहा कि (1) हनी ट्रैप मामले के उजागर होने के दो माह पहले सरकार को जानकारी थी, तो फिर इतनी देर क्यों की? क्या किसी का दबाव था? एसआईटी के मुखिया क्यों बार-बार बदले गए?
(2) इंदौर में छापेमारी के बारे में जब मुख्यमंत्री को एक महीने पहले ब्लैक मेलिंग की जानकारी थी, तो इतना इंतजार क्यों किया? क्या इसमें भी कोई अनुदान, वित्त, स्वीकृति, अध्यादेश या केंद्र सरकार की इजाजत की जरूरत थी? क्या इसी तरह के विलम्ब से सामान्य नागरिक न्याय, राहत, संरक्षण के अभाव में इस सरकार में माफियाओं के हाथों प्रताड़ित होते रहते हैं?
श्री मालू ने कहा कि11 महीने में न तो आपके युद्ध से दूध शुद्ध हुआ। न खाद-बीज और न रेत माफिया शुद्ध हो पाए। अखबार देख लें, ज्यादा से ज्यादा ख़बरें रेत और खनन के खेल की ही छपती है, जो माफिया कर रहे। अब माफिया के खिलाफ युद्ध का ‘वचन’ कैसे और क्यों? वचनों की बाजीगरी आप ही कर सकते हो ‘वचन-नाथ!’ आपकी बीन पर जब तक दूसरे ब्लैकमेल हों, तो तो वे ‘शुद्ध’ और जब ये ‘फुंफकारें’ चहेते अफ़सरों पर हो, तो वही माफिया और उसके खिलाफ युद्ध का नाद? सवाल ये है कि जो कुछ भी चल रहा था वो आज का तो नहीं है, फिर क्यों 11 माह तक चुप्पी साधी? मुख्यमंत्री को जब एक माह पहले पता चला तो क्यों 30 दिन ब्लैकमेलिंग होने दी? या फिर प्रशासन और पुलिस खुद पर आंच आने तक मुख्यमंत्री की भी नहीं सुन रहे थे!
जरा वचनपत्र के पन्ने पलटिए पलटूनाथ जी! उसमें तो हर मर्ज का कर्जमाफी की तर्ज पर इलाज का वचन दिया था। एक साल सत्ता के जश्न की तैयारी में मदमस्त सरकार अब बतोलेबाजी छोड़ वचनपत्र सामने रखकर एक एक वचन की शुद्धता का हिसाब दे। खुलासा करें कि एक माह तक मुख्यमंत्री और उनका प्रशासन हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठा था? अब अचानक क्यों कल तक का दुलारा व्यक्ति ब्लेकमेलर और माफिया बन गया?
सबसे बड़ी माफ़िया तो आपकी सरकार है, जो इसी तर्ज पर तबादलों का खुला ब्लेक मेल कर वसूली में लगी है। कार्रवाई तो आपकी सरकार पर होना जरूरी है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)