प्रकाश हिन्दुस्तानी
अब दमोह के विधायक राहुल सिंह लोधी भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। विधायक पद से 1 घंटे के भीतर ही उनका इस्तीफा मंजूर हो गया और वे भारतीय जनता पार्टी में शरीक भी हो गए। समझा जा सकता है कि इस पूरे घटनाक्रम की स्क्रिप्ट काफी पहले ही लिखी जा चुकी थी। 7 महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने एक साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। उसके बाद तीन और विधायकों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। इसी के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों की संख्या 25 हो गई थी। उसके साथ ही कॉन्ग्रेस बहुमत से काफी दूर चली गई थी। अब राहुल सिंह लोधी के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस छोड़कर जाने वाले विधायकों की संख्या 26 हो चुकी है।
इसी के साथ कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 87 रह गई है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के पास वर्तमान में 107 विधायक हैं . इसके अलावा निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह, विधायक सुरेंद्र शेरा और विधायक केदार डाबर भी भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दे चुके हैं। इन तीनों के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भी भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दे रहे हैं। जिसके चलते भाजपा को 114 विधायकों का समर्थन हासिल है। अब भाजपा बहुमत के आंकड़े से महज 2 सीट ही दूर रह गई है।
3 नवंबर को 28 सीटों पर चुनाव होना होना है। सरकार बनी रहने के लिए भारतीय जनता पार्टी को अब केवल 2 सीटों की जरूरत है। जबकि 116 के आंकड़े को छूने के लिए कांग्रेस को सभी सीटों पर चुनाव जीतना जरूरी है। एक सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी यह मान सकता है की उपचुनाव में सभी की सभी 28 सीटें भारतीय जनता पार्टी हार जाए और कांग्रेस सभी सीटों पर जीत जाएं यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा इसलिए मैं कह रहा हूं कि कमलनाथ का वापस मुख्यमंत्री बनना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। यह बात सही है की जिन 28 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से 27 सीटों पर पहले कांग्रेस जीती थी, लेकिन अब वे उनमें से 25 विधायक इस्तीफ़ा दे चुके हैं और भाजपा के प्रत्याशी हैं।
इधर भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के उपचुनाव के लिए अपनी रणनीति में फिर बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के कारण कांग्रेस के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। इस इलाके में कांग्रेस ने प्रचार तंत्र में गद्दार, भूमाफिया जैसे शब्दों के साथ ही सारा निशाना ज्योतिरादित्य सिंधिया पर बना रखा था। कांग्रेस पार्टी को लगता था कि ग्वालियर चंबल संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया ही प्रचार की मुख्य धुरी होंगे। इसीलिए कांग्रेस ने इस इलाके में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर व्यक्तिगत आरोपों की झड़ी लगा दी, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री भाषण देते नजर आ रहे हैं। इससे कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलने में बदलने की जरूरत महसूस हो रही है क्योंकि अब इस इलाके में गद्दार और बिकाऊ नेता वाला भाषण बहुत ज्यादा देर तक चलने वाला नहीं है।
डबरा में भाजपा की उम्मीदवार इमरती देवी के बारे में बिना नाम लिए आइटम शब्द कहने को भी भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा चुनावी मुद्दा बना लिया है। इसके साथ ही दिनेश गुर्जर का बयान कि शिवराज सिंह चौहान नंगे भूखे परिवार के हैं, को भी भाजपा ने भुनाने की कोशिश की है। अब उप चुनाव की तारीख नजदीक आते ही भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के विधायकों को अपनी तरफ ललचाना शुरू किया है। कई लोगों का कहना है कि इसके लिए भारी धनराशि खर्च की जा रही है। अब भारतीय जनता पार्टी की नई नीति के अनुसार पूरे 28 सीटों पर चुनाव प्रचार के केंद्र में शिवराज सिंह चौहान ही नजर आएंगे। चुनाव अभियान में कांग्रेस बहुत ज्यादा आक्रामक रही है लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी आक्रामक होती जा रही है।
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