पार्टी की आर्थिक नीति तय करने की कमान संभाली।
शहरी मनरेगा और सरकारी भर्तियों की हिमायत कर कमलनाथ ने दिए मध्य प्रदेश के लिए बड़े संकेत।
रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ ने आर्थिक प्रस्ताव पेश कर कांग्रेस की आर्थिक नीति का खुलासा किया। कांग्रेस के प्रादेशिक नेताओं का दावा है कि इसका असर मप्र के आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा।
आर्थिक प्रस्ताव में कमलनाथ ने कहीं ये बड़ी बातें:-
कमलनाथ द्वारा पेश आर्थिक प्रस्ताव में कांग्रेस ने सरकारी नौकरियों में भर्ती का वादा किया है। मध्य प्रदेश के चुनाव पर इस वादे का सीधा असर पड़ने का दावा कांग्रेस कर रही है।
सरकारी और अर्ध सरकारी निकायों, सशस्त्र बलों अर्धसैनिक बलों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी रिक्तियों को तुरंत भरने के लिए जताई अपनी प्रतिबद्धता।
आर्थिक प्रस्ताव में कमलनाथ ने मोदी सरकार और भाजपा की आर्थिक नीतियों पर हमला बोला।
मोदी सरकार के 9 साल का कार्यकाल विफलताओं, भयानक गलतियों और गलत प्राथमिकताओं से भरा हुआ है।
कांग्रेस सरकार में 2013-14 में देश की विकास दर 6.9% थी जो वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 3.7% रह गई।
यूपीए सरकार ने 10 वर्ष के कार्यकाल में 27 करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला।
हमारा बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का कारण है। विशेष रूप से चीन के साथ जिसने 2022 में 100 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है हमें चीन के साथ व्यापार शर्तों का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत।
ग्रामीण मनरेगा की तर्ज पर शहरी मनरेगा शुरू करने पर दिया जोर।
इस समय दुनिया में सबसे अधिक 22.89 करोड़ गरीब लोग भारत में रह रहे हैं। कांग्रेस न्याय योजना लाकर गरीबी दूर करेगी।
मोदी सरकार के बजट में पहली बार सामाजिक क्षेत्र का बजट कुल बजट का 18% रहा है। ऐसा पहली बार है जब सामाजिक क्षेत्र के लिए बजट का 20% से कम आवंटित किया गया हो। यह मोदी सरकार की गरीब और मध्यमवर्गीय विरोधी नीति का असर है।
कांग्रेस पार्टी उन महिला गृहिणियों को भत्ता देगी जो दिन में कई घंटे बिना पारिश्रमिक के काम करती हैं।
वित्त वर्ष 2022 23 में केंद्र से राज्यों को लगभग 63 हजार करोड़ रुपए हस्तांतरित किए जाना थे, जो नहीं किए गए। यह राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला है।
जब मोदी सरकार बनी थी तब प्रत्येक भारतीय पर ₹43124 का कर्ज था जो अब बढ़कर ₹109373 प्रति व्यक्ति हो गया है। इस तरह मोदी सरकार ने प्रति व्यक्ति कर्ज में ढाई गुना की वृद्धि कर दी है।
मोदी सरकार कुछ उद्योगपतियों को बढ़ावा देकर देश की अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल रही है।