कारगिल युद्ध के हीरो मेजर सिंह ने स्टूडेंट्स में जगाया चुनौतियों से जूझने का जज्बा

  
Last Updated:  October 8, 2019 " 10:31 am"

इंदौर : कारगिल युद्ध के हीरो रहे मेजर डीपी सिंह ने एमराल्ड हाइट्स में आयोजित 51 वी राउंड स्क्वेयर कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र में भाग लिया। उनके जीवन संघर्ष, सांहस और कभी हार न मानने की जीवटता के बारे में जानकर कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे बच्चे रोमांचित हो गए। मेजर डीपी सिंह ने अपनी बातों से बच्चों में नया जोश भर दिया।

मौत को शिकस्त देकर लौटे मेजर सिंह।

मेजर डीपी सिंह ने कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता का परिचय दिया था। युद्ध में बुरीतरह घायल होने और एक पैर गंवाने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। जिंदगी को चुनौती की तरह लेते हुए वे फिर उठ खड़े हुए और नकली पैर के सहारे फिर दौड़ना- भागना शुरू कर दिया। यहां तक कि देश के पहले ब्लेड रनर के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। अपने जीवन से जुड़े इन्हीं पहलुओं को उन्होंने स्टूडेंट्स के साथ साझा किया।

सेना में रहकर मिली हार न मानने की प्रेरणा।

मेजर डीपी सिंह ने राउंड स्क्वेयर कॉन्फ्रेंस में भाग लेने आए स्टूडेंट्स से बातचीत की शैली में संवाद साधते हुए उनकी जिज्ञासाओं और सवालों का जवाब दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे गुरुओं की शिक्षा है कि त्याग करो, दूसरों की मदद करो। सेना में रहते उन्हें चुनौतियों का मुकाबला करने की प्रेरणा मिली।

हमारे खून में कुछ खास है।

मेजर डीपी सिंह ने अपनी मां का उदाहरण देते हुए कहा कि वे एक बार दुर्घटना में घायल हो गई थी। तीन दिन कोमा में रही। अपनी इच्छाशक्ति के बल पर वे इससे उबर गई। तब मुझे लगा कि हमारे खून में ही कुछ खास है।

‘द चैलेंजिंग वन्स’ से 2 हजार लोग जुड़े।

मेजर सिंह ने स्टूडेंट्स को बताया कि उन्होंने ऐसे दिव्यांग लोगों का समूह बनाया है जो लोगों में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं। ‘द चैलेंजिंग वन्स’ नामक इस ग्रुप से 2 हजार दिव्यांग जुड़े हैं।

कैंसर जागरूकता दौड़ में की शिरकत।

मेजर सिंह ने कैंसर जागरूकता को लेकर आयोजित मैराथन दौड़ में भी शिरकत की। रंगवासा सर्कल से शुरू हुई इस दौड़ में कई विशिष्टजनों ने भी भाग लिया। दौड़ का समापन चौइथराम फाउंडेशन पर हुआ।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *