🔸 नरेंद्र भाले 🔸
फुटबॉल की किक ने अर्जेंटीना के डिएगो अरमांडो मेराडोना को शोहरत की बुलंदी और दौलत से शिखर पर पहुंचा दिया , ठीक उसी तर्ज पर कोकीन की किक ने उन्हें पतन के गर्त में धकेल दिया। पहली नजर में भारोत्तोलक या पहलवान लगने वाले इस नाटे ने जब भी फुटबॉल के पीछे दौड़ना प्रारंभ किया उसकी चुस्ती फुर्ती और दमखम देखकर फुटबॉल प्रेमी दंग रह गए। फुटबॉल के इस दस नंबरी ने सारे विश्व के फुटबॉल प्रेमियों को अपने चमत्कारी खेल के जाल में फांस लिया।
जहां कहीं भी फुटबॉल का जिक्र होता है तो पेले के बाद मेराडोना का ही नाम बरबस जुबान पर आता है। नेपोली क्लब , अर्जेंटीना , मेराडोना और फुटबॉल एक दूसरे के पर्याय बन गए थे। वैसे भी इतनी शोहरत और दौलत पाने के बाद खिलाड़ी की चर्चा ना हो ऐसा संभव ही नहीं है। मेराडोना के साथ भी ऐसा ही हुआ और देखते ही देखते विख्यात मेराडोना कुख्यात हो गए। वेश्यावृत्ति में लिप्त , कोकीन के सेवन में दोषी ऐसे कई विश्लेषण उनके साथ जुड़ गए। इतना ही नहीं वे दोषी भी पाए गए , प्रतिबंध लगा और मानो सब कुछ समाप्त हो गया।
एक समय खबर आई मेराडोना खेलेंगे और अंत में तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने बुझे मन से प्राण प्रिय फुटबॉल को अलविदा कह दिया। वास्तव में मेराडोना फुटबॉल जगत के ऐसे हस्ताक्षर थे जिन्हे ब्लैक पर्ल पेले के पश्चात पूरे विश्व के फुटबॉल प्रेमियों ने सिर माथे पर बिठाया। पेले आज भी फुटबॉल प्रेमियों के दिल की धड़कन हैं जबकि मेराडोना के खेल जीवन का पूर्वार्ध जितना चमकीला था , उत्तरार्ध उतना ही कालिख भरा। दुनिया में खेल जगत में ऐसे कई नाम है जिन्होंने शोहरत दौलत अथाह कमाई और उतना ही सम्मान भी।
इसके उलट मेराडोना
और माइक टायसन जैसे दिग्गजों का नाम उनकी हरकतों की वजह से उतनी ही तेजी से गर्त में समा गया। आखिर क्या वजह थी कि सब कुछ हासिल होने के बावजूद कालिख भरी बदनामी उनके हिस्से में आई और खेल जीवन का अंत भी उतना ही दर्दनाक हुआ जिसकी खुद माराडोना ने भी कभी कल्पना नहीं की थी। जिन पैरों ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया निश्चित वही भटक गए और मेराडोना का पतन हो गया। 30 अक्टूबर 1960 को ब्यूनस आयर्स में इस वामन अवतार ने जन्म लिया और और 25 नवंबर 2020 को वे इस दुनिया को अलविदा कह गए।
1978 के विश्व कप विजेता दल में 17 वर्षीय मेराडोना भी शामिल थे लेकिन अर्जेंटीना के प्रशिक्षक लुइस सेजार मेनोती ने उन्हें मैदान में उतरने का मौका ही नहीं दिया 1979 में वर्ष के सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अमेरिकी फुटबॉलर के रूप में मेराडोना नवाजे गए। 1982 का विश्व कप मेराडोना के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं था। उनके प्रतिद्वंदीयो ने उन्हें कई बार गिराया। ब्राजील के खिलाफ मेराडोना मैच में इतने उत्तेजित हो गए कि फाउल करने की वजह से उन्हें मैदान के बाहर कर दिया गया।
1986 का मेक्सिको विश्वकप उनके जीवन का गोल्डन एरा था। मेराडोना ने अपने शानदार एकल प्रदर्शन से विश्वकप को अर्जेंटीना की झोली में डाल दिया। बेहतरीन खेल के कारण उन्हें गोल्डन बॉल भी मिला। इस विश्वकप में सबसे चर्चित उनका हैंड ऑफ गॉड रहा। उस समय तकनीक इतनी आधुनिक नहीं थी जितनी आज है। गेंद उनके हाथ से लग कर गोल पोस्ट में चली गई जिसे रेफरी भी पकड़ नहीं पाए। बाद में मेराडोना ने उस भूल को हैंड ऑफ गॉड की उपाधि प्रदान की। 1990 का विश्व कप मेराडोना के लिए ढलान की तरफ तेजी से लुढ़काने वाला था। इसी वर्ष मेराडोना ने अपने क्लब नेपोली को इटालियन लीग विजेता बनाया और इसी वर्ष उन्होंने अपनी पुरानी मित्र क्लाडिया बिल फेन से विवाह रचाया। 17 मार्च 1991 को मेराडोना पर कोकीन सेवन का आरोप सिद्ध हो गया। 19 मार्च को उन पर 15 माह का प्रतिबंध लगा दिया गया और यहीं से उन्होंने अपने संन्यास के संकेत दे दिए। अंत में 18 सितंबर को थक हार कर मेराडोना ने फुटबाॅल से संन्यास की घोषणा कर दी। एक चमकदार फुटबॉल सितारे का अतं बेहद करुण एवं निराशाजनक रहा।
इतना सब होने के बाद भी मेराडोना के लाखों समर्थक उन्हें खेलते देखना चाहते थे लेकिन मानसिक दबाव के चलते उनका टूटना ही उनकी नियति था और भाग्य को भी यही मंजूर था। आखिर 30 अक्टूबर को अपना 60 वां जन्मदिन मनाने वाले मेराडोना के दिल पर नियति की ऐसी किक पड़ी कि वे इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए। बहुत याद आओगे मेराडोना। रेस्ट इन पीस बडी।😪😪