केरल सहित दक्षिण के राज्यों में बढ़ रही है हिंदी की स्वीकार्यता

  
Last Updated:  February 16, 2025 " 12:52 pm"

इंदौर प्रेस क्लब में चाय पर चर्चा के दौरान बोले केरल से आए साहित्यकार डॉ. आरसु और अजय कुमार।

इंदौर : दक्षिण भारत के राज्यों में भी अब संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ रही है। केरल में पाठ्यक्रम में हिन्दी कक्षा दसवीं तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई जा रही है। इसके बाद यह वैकल्पिक भाषा के रूप में मौजूद है। हिंदी साहित्य का मलयाली में अनुवाद हो रहा है।हालांकि आज भी हिन्दी के लिए सरकारी सुविधाओं का अभाव है। हिंदी को लेकर दिए जाने वाले पुरस्कार बन्द कर दिए गए हैं।ये कहना है केरल की भाषा समन्वय वेदी संस्था के अध्यक्ष डॉ. आरसु और केरल के ही ख्यात उपन्यासकार डॉ. केसी अजय कुमार का। अपने साथियों के साथ इंदौर आए डॉ. आरसु और केसी अजय कुमार शनिवार शाम इंदौर प्रेस क्लब में चाय पर चर्चा के दौरान पत्रकारों के समक्ष दक्षिण भारत के राज्यों, खासकर केरल में हिंदी को लेकर विद्यमान स्थिति पर अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने ने इस बात पर हैरानी जताई कि दक्षिण भारत में सूचनापट पर स्थानीय भाषा के साथ देवनागरी का भी प्रयोग किया जा रहा है लेकिन हिन्दी भाषी राज्यों में सूचना पटल अंग्रेजी में लिखे होते हैं। हमने तो अपना काम हिन्दी में भी करना शुरू कर दिया पर आप हिन्दी क्यों छोड़ रहें हैं।
केरल से आए भाषा समन्वय वेदी के 20 सदस्यीय दल के सदस्यों का स्वागत प्रेस क्लब महासचिव हेमन्त शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य अभय तिवारी, प्रवीण बरनाले, मुकेश तिवारी, डॉ. अर्पण जैन, राधिका मंडलोई ने किया। संचालन प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रमण रावल, राजेंद्र कोपरगांवकर, हरेराम वाजपेयी, डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, उमेश पारिख, आशुतोष वाजपेयी, अर्पण जैन,लक्ष्मीकांत पण्डित, राजेन्द्र गुप्ता सहित साहित्यकार और मीडिया के साथी मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में भाषा समन्वय वेदी संस्था के अध्यक्ष डॉ. आरसु ने प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी का अभिनंदन किया।

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