समाजसेवी अजय सारडा ने कोरोना काल में लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए लिया था श्रीमद भगवतगीता बांटने का संकल्प।
अभी तक बांट चुके हैं 351 भगवत गीता।
इंदौर : कोविड एक ऐसी वायरस जनित महामारी थी जिसके कहर से कोई भी देश नहीं बच पाया। उस दौर की याद आते ही एक सिहरन सी दौड़ जाती है। उस समय जब दवा काम नहीं कर रही थी, कोरोना से ग्रसित होकर हजारों लोग प्राण गंवा रहे थे। इंदौर भी देश के सर्वाधिक कोरोना प्रभावित शहरों में शामिल था। अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे। निराशा के उस दौर में जरूरत दवा के साथ दुआ की भी थी। लोग ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे थे कि इस विपदा से उन्हें जल्द निजात मिले। ऐसे में शहर के कई लोग खुद जोखिम उठाकर भी पीड़ितों की मदद कर रहे थे, उनका मनोबल बढ़ा रहे थे। ऐसे ही एक युवा समाजसेवी अजय सारडा ने भी तय किया कि कोरोना प्रभावितों का किसीतरह मनोबल बढ़ाया जाए ताकि उनमें बीमारी से लड़ने का जज्बा पैदा हो सके। उन्होंने अपने विचार को मूर्तरूप देते हुए कोरोना ग्रस्त परिवारो में श्रीमद्भगवद्गीता का वितरण शुरू किया।
कोरोना प्रभावितों को किया श्रीमद भगवतगीता का वितरण।
अजय सारडा ने संकल्प लिया कि 700 भगवद्गीता गीता वे कोरोना प्रभावितों को नि:शुल्क उपलब्ध कराएंगे । 700 का संकल्प इसलिए लिया क्योंकि श्रीमद भगवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपनी अमृतवाणी का ज्ञान 700 श्लोकों के जरिए देकर उन्हें निराशा के अंधकार से उबारते हुए अपने कर्तव्य के लिए प्रेरित किया था। उनके इस प्रयास को सभी साथी मित्रों ने सराहा। सारडा अभी तक 351 श्रीमद भगवतगीता का वितरण कोरोना प्रभावितों को कर चुके हैं। ये सिलसिला निरंतर चल रहा है। अब तो वे किसी विवाह, जन्मदिन या किसी अन्य खुशी के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों में जाते हैं तो उपहार के रूप में भगवत गीता ही भेंट करते हैं।
अजय सारडा चाहते हैं कि भगवत गीता का दिव्य ज्ञान हर घर पहुंचे और लोग बीमारियों से अथवा समस्याओं से भयभीत होने की बजाए उनका सामना करने के लिए प्रेरित हों। उनका कहना है कि संकल्प पूरा होने के बाद वे इसे आगे भी जारी रखने का प्रयास करेंगे।