इंदौर : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोविड महामारी से अपने माता-पिता को खोने वाले इंदौर के शिखा, चिराग, दीपक सहित प्रदेश के अन्य बच्चों से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सीधा संवाद किया। उन्होंने बच्चों की समस्याएं सुनी, उनसे चर्चा कर हौसला और हिम्मत बढ़ाई तथा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
मामा शिवराज आपके सुख- दुःख में हमेशा साथ है।
मुख्यमंत्री चौहान ने बच्चों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि मामा के रूप में वे उनके हर सुख-दु:ख में साथ हैं। किसी भी बात की चिंता नहीं करें। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, संरक्षण, संस्कारों के उन्नयन और परिवार की सुव्यवस्था के हर इंतजाम किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कोविड महामारी के कारण अनाथ हुए प्रदेश के 328 बच्चों के खातों में “मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना” के तहत पांच-पांच हजार रूपये अंतरित किए। इनमें इंदौर के 36 बच्चे शामिल हैं।
इंदौर के बच्चों से भी किया संवाद।
इंदौर के कलेक्ट्रोरेट स्थित एनआईसी कक्ष में शिखा, उसका भाई चिराग, दीपक सहित अन्य बच्चे मुख्यमंत्री से संवाद के लिए उपस्थित थे। इस अवसर पर कलेक्टर मनीष सिंह, बाल संरक्षण अधिकारी अविनाश यादव सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने संवाद कार्यक्रम की शुरूआत इंदौर के बच्चों से संवाद करते हुए की। उन्होंने सबसे पहले इंदौर की शिखा ठाकुर से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने पूछा की बिटिया कौन सी कक्षा में हो ? शिखा ने बताया कि मैं 12वी कक्षा में पढ़ रही हूँ, रिजल्ट आना बाकी है, मैं पढ़ लिख कर सेना में भर्ती होना चाहती हूँ। मुख्यमंत्री चौहान ने इस बालिका के जज्बे की सराहना की और कहा कि किसी भी बात की चिंता नहीं करें। शिक्षा और आगे बढ़ने में पूरी मदद दी जाएगी। शिखा के भाई चिराग से भी मुख्यमंत्री ने चर्चा की और कहा कि बेटा पढ़ों-लिखों, आगे बढ़ों, सरकार तुम्हारे साथ है। आगे बढ़ों और अपने माता-पिता का नाम रोशन करों। इसके बाद मुख्यमंत्री चौहान ने दीपक गिरवाल से भी चर्चा की। दीपक ने बताया कि वह अभी बीए में अध्ययनरत है। आगे भी उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता है। मुख्यमंत्री ने उसे भी पूरा सहयोग देने के लिए आश्वस्त किया। मुख्यमंत्री चौहान ने मंदसौर, राजगढ़, सिवनी, बैतूल सहित अन्य जिलों के बच्चों से भी चर्चा की।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि इंदौर में हर बच्चे के हितों के संरक्षण के लिए तहसीलदार और अन्य अधिकारियों को पालक अधिकारी के रूप में जवाबदारी दी गई है। यह अधिकारी कोरोना में अपने माता-पिता को खोने वाले हर बच्चे के हितों का संरक्षण करेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण से कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती। कोरोना की दूसरी लहर में कई बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का साया भी उठ गया। इस स्थिति में बच्चों की जिम्मेदारी उठाने के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना शुरू की गई है। योजना में प्रावधान किया गया है कि अनाथ हुए बच्चों को प्रति माह 5 हजार रूपये आर्थिक सहायता के साथ नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क राशन व सुरक्षित आवासीय सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाए। बच्चों की प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की जिम्मेदारी राज्य सरकार उठाएगी। उनकी संपत्तियों की सुरक्षा भी की जाएगी।