♦️ नरेंद्र भाले ♦️
सात मैच और केवल एक जीत , अंक तालिका में किंग्स इलेवन पंजाब की टीम तले में पहले से ही छटपटा रही थी। ऑरेंज कैप धारी के एल राहुल और उनके साथ रनताल करते हुए मयंक अग्रवाल के बल्ले से रनों का झरना बह रहा था लेकिन टीम अंको के मामले में सूखी सट पड़ी थी।
पहले अनदेखी और उसके बाद खाने में विषबाधा से ग्रस्त गेल का आगमन हुआ और मानों वेंटिलेटर पर संघर्ष कर रही टीम को संजीवनी मिल गई। यह सच है कि उनके आगमन से ही एक समय अंकों के मामले में भिखारी नजर आ रही टीम अपने नाम अनुरूप बादशाह नजर आने लगी।
माय नेम इज गेल …..क्रिस्टोफर हेनरी गेल …….लाइसेंस टू किल ,ऐसा तेज घटनाक्रम जेम्स बांड की फिल्मों में भी नजर नहीं आता। देखते ही देखते जीत का मुंह देखने को तरसती टीम ने 5 में से 5 मैंच जीतकर अंक तालिका में चौथा स्थान अर्जित कर लिया। सोमवार को सामने केकेआर की टीम थी। मयंक अग्रवाल की अनुपस्थिति में एक बार फिर मनदीप सिंह ओपनर बन कर उतरे। अच्छा खेल रहे राहुल (28) को पगबाधा के रूप में वरुण चक्रवर्ती ने डस लिया।
मनदीप अपनी हैसियत के अनुरूप खेल रहे थे ऐसे में गेल का आगमन हुआ और सारे तेज गेंदबाज हवा हो गए। शारजाह का मैदान वैसे भी छोटा है और विशेष रूप से छक्कों की उड़ान के रूप में ही जाना जाता है। सुनील नारायण हो या चक्रवर्ती या फिर फर्ग्युसन हो या कमिंस क्या फर्क पड़ता है।
उल्टे हाथ के गेल ने मात्र 29 गेंदों में 5 छक्के तथा 2 चौकों के साथ तूफानी अर्धशतक का सृजन करते हुए कोलकाता को वापसी का मौका ही नहीं दिया। दूसरे छोर पर मनदीप भी 56 गेंदों में 7 चौके तथा 2 छक्कों की मदद से नाबाद 66 रनों की पारी खेलकर किंग्स की ताजपोशी करके ही माने। 1.1 ओवर पूर्व 8 विकेट की एकतरफा जीत वाकई मायने रखती है। गेल (51) अंतिम क्षणों में शरीर पर आते फर्ग्युसन के अचूक बाउंसर का शिकार हो गए।
इसके पूर्व सिक्के की उछाल मे किंग से न्यौता पाकर केकेआर मैदान पर उतरी लेकिन नितीश राणा (0) मैक्सवेल का शिकार बन गए जबकि राहुल त्रिपाठी (7) और दिनेश कार्तिक (0) को मोहम्मद शमी ने चलता कर दिया। वैसे भी कार्तिक एक मक्कार मास्टरकर्मी के रूप में विकेट पर हस्ताक्षर करके डगआउट में लौट गए। दूसरी तरफ शुभमन गिल (57) और कप्तान मारगन ने जमकर संघर्ष किया। यहां प्रशंसा करनी होगी रवि बिश्नोई एवं मुरूगन अश्विन की जिन्होंने किसी भी बल्लेबाज को खुलकर खेलने नहीं दिया।
विशेष रूप से बिश्नोई की गेंदें टप्पा खाकर कोबरा के मानिंद बल्लेबाजों के शरीर पर झपट रही थी। नागरकोटी और करोड़पति कमिंस उन्हें समझ ही नहीं पा रहे थे। गिल के यहां अपेशेवर अंदाज ने निश्चित ही निराश किया। लगभग डेढ़ सौ के स्ट्राइक रेट से रन बनाने वाले फर्ग्युसन के सामने उन्होंने चहल कदमी के अंदाज का भी रन नहीं लिया और अगली गेंद पर खुद कैच आउट हो गए।
कुल मिलाकर 150 रन का टारगेट यहां कतई सुरक्षित नहीं था। भले ही बाद में विकेट आसान खेला और स्पिनरों को भी मदद नहीं मिली लेकिन गेल ने अपने ही अंदाज में मनदीप को साथ लेकर गेंदबाजों को कुछ समझा ही नहीं। शुरुआत से ही मैं कह रहा था कि गेल है तो सब कुछ मुमकिन है। परिणाम आप सभी के सामने हैं। अंतिम चार में किंग्स इलेवन पंजाब पहुंचती है तो निश्चित ही गेल के सहारे नहीं बल्कि उन्हीं के दम पर।