कीर्ति राणा इंदौर। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या जैसे जैसे बढ़ रही है, उपचार में कारगर माने जाने वाले इंजेक्शन रेमडिसीवीर की मांग बढ़ने से इंदौर, भोपाल सहित अन्य शहरों में इसके मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। इससे मरीजों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता जा रहा है।पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में इस इंजेक्शन की कीमत ₹899 निर्धारित कर रखी है, लेकिन इंदौर में ₹ 5400 एमआरपी वाले इंजेक्शन 2 से 3 हजार तक में भी यहां वहां भटकने के बाद उपलब्ध हो रहे हैं।इंजेक्शन विक्रेताओं द्वारा आपदा में अवसर तलाशने से हजारों परिवार हर दिन लूट का शिकार हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने भले ही कोरोना मरीजों का नयूनतम खर्च पर उपचार के निर्देश दे रखे हैं।इंदौर कलेक्टर निजी अस्पताल संचालकों, दवाई विक्रेता संगठनों आदि के साथ बैठकों में रोज सख्ती कर रहे हैं लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते रेमडिसीवीर की बढ़ती मांग और पर्याप्त पूर्ति के अभाव में कालाबाजारी वाले हालात बन रहे हैं।
माल मेरा, रेट मेरे वाली मनमानी।
इंदौर शहर में दवाइयों की थोक-फुटकर बिक्री करने वालों में 5 प्रतिशत ऐसे दवा विक्रेता हैं जहां रेमडिसीवीर इंजेक्शन का स्टॉक रहता है। एक पखवाड़े से इन विक्रेताओं की चांदी है।जैसा ग्राहक वैसा भाव वसूला जा रहा है।कोरोना की पहली लहर में यही इंजेक्शन ₹ 5400 एमआरपी पर भी लोगों ने खरीदा है। बाद में प्रति इंजेक्शन 2800 पर और इन दिनों 2 से 3 हजार में उपलब्ध है। यदि आप की प्रभावी लोगों से जान-पहचान है तो यह इंजेक्शन और सस्ते में भी उपलब्ध हो जाता है, लेकिन जब मरीज को तत्काल डोज देने की अनिवार्यता बन रही हो तो परिजन जिस भाव में भी मिल जाए, खरीदने को मजबूर हो जाते हैं।
एक मरीज को छह इंजेक्शन का डोज अनिवार्य।
कोरोना उपचार में फिलहाल यही इंजेक्शन अधिक कारगर होने से एक मरीज को छह इंजेक्शन का डोज लगाना अनिवार्य है।पहले दिन दो और बाकी के चार दिन एक-एक इंजेक्शन लगाया जाता है। पैसों का एकमुश्त इंतजाम न होने पर यह भी संभव
नहीं हो पा रहा है कि पीड़ित के परिजन हर रोज इंजेक्शन खरीद सकें। संबंधित दवाई विक्रेता भी कल माल की सप्लाय हो या नहीं जैसे कारण बता कर एक साथ छह इंजेक्शन खरीदने की सलाह देने से नहीं चूकते।
इंजेक्शन बनाने वाली प्रमुख दवा कंपनियां।
रेमडिसीवीर इंजेक्शन के एक डोज में 100 मिली ग्राम दवाई रहती है। ये इंजेक्शन बनानेवाली प्रमुख निर्माता कंपनियों में सिपला, झायडस (केडिला), माइलान, हैट्रो, ग्लेनमार्क आदि शामिल हैं।इन सभी के गोदाम देवास नाका, पीथमपुर में हैं।
इन बड़ी निर्माता कंपनियों से कच्चा माल लेकर अन्य छोटी कंपनियां भी रेमडिसीवीर इंजेक्शन बनाने लगी हैं। दवा बाजार से जुड़े एक खुदरा दवाई विक्रेता के मुताबिक फिलहाल मिल रहे इंजेक्शन का निर्माता कंपनियों ने एमआरपी सहित ₹ 5400, 4800, 4200 रेट तय कर रखा है जबकि इनकी लागत अधिकतम 950 ₹ आती है। विक्रेता इसे न्यूनतम ₹2000 तक में बेच रहे हैं।
बिना चीन की मदद के इंजेक्शन भी संभव नहीं।
रेमडिसीवीर इंजेक्शन सहित अन्य दवाइयों के निर्माण में लगने वाले एपीआई ( एक्टिव पार्टिकल इंडीग्रेंडस) का पूरे विश्व में चीन बड़ा सप्लायर है।हालांकि कुछ निर्माता कंपनियां एपीआई निर्माण करने लगी हैं लेकिन अधिकांश भारतीय दवा कंपनियां अभी एपीआई के लिए चीन पर ही निर्भर हैं।तमाम कूटनीतिक तनाव के बावजूद चीन के प्रति भारत का उतना आक्रामक रवैया नजर नहीं आ रहा तो उसका प्रमुख कारण एपीआई वाली निर्भरता भी है।
‘हां छुट्टियों की वजह से सप्लाय में कमी हुई’।
दवाबाजार विक्रेता एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने माना कि पिछले कुछ दिनों में रेमडिसीवीर इंजेक्शन के संकट की स्थिति बनी हुई है। बाकलीवाल के मुताबिक होली-रंगपंचमी आदि अवकाश, महाराष्ट्र में अधिक डिमांड जैसे कारणों से इंदौर में संकट बना लेकिन यह अस्थायी है। शीघ्र हालत सामान्य हो जाएंगे।इंजेक्शन के मनमाने दाम वसूलनेवालों पर जिला प्रशासन कार्रवाई करे एसोसिएशन सहयोग करेगा।
महाराष्ट्र सरकार लूट से बचा सकती है तो मप्र सरकार क्यों नहीं..?
महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना संक्रमित मरीजों को मात्र ₹ 899में इंजेक्शन उपलब्ध कराने की पुख्ता व्यवस्था कर रखी है।मप्र सरकार ने अभी तक उस मॉडल को नहीं अपनाया है इससे आमजन में यह शंका पैदा हो रही है कि मप्र में दवाई विक्रेताओं ने सरकार से साठगांठ कर रखी है।मप्र सरकार से पहले इंदौर कलेक्टर चाहें तो महाराष्ट्र मॉडल को और बेहतर तरीके से लागू कर सकते हैं।
मुंबई में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों को दे रखा है। इंजेक्शन की बिक्री का अधिकार।
मुंबई में रेमडिसीवीर इंजेक्शन की बिक्री महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों से करवाई जा रही है। जो इंजेक्शन दवाई दुकानों पर ₹4000 तक में मिल रहा है, इन केंद्रों से मात्र ₹899 में खरीदा जा सकता है। खरीदी के लिए जाने वाले व्यक्ति को अपना और मरीज का आधार कार्ड, कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट, डॉक्टर का लिखा प्रिसक्रिप्शन आदि साथ ले जाना होता है। मरीज के परिजन कालाबाजारी न कर सकें इसलिए प्रतिदिन दो इंजेक्शन ही उपलब्ध कराए जाते हैं।