बंधक रखे भूखंडों का कर दिया सौदा।
इंदौर : कलेक्टर ने क्रेडाई चेयरमैन गोपाल गोयल और साकार ग्रुप के मालिक बिल्डर संजय दासौद के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करवाई है। दोनों आरोपी पार्टनर हैं और उन पर कॉलोनी सेल में बंधक चार प्रोजेक्ट के प्लाट बेचकर शासन के साथ करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी करने का आरोप है। आरोपियों का सांवेर रोड स्थित एक अन्य प्रोजेक्ट भी जांच के दायरे में आ गया है। मेसर्स साकार रियल के भागीदार संजय देवेंद्र दासौद (सीताबाग कॉलोनी) और गोपाल प्रेमचंद गोयल (रेसकोर्स रोड) के विरुद्ध प्राइम सिटी निवासी लोकेंद्रसिंह ने कलेक्टर आशीष सिंह को शिकायत की थी।
इंदौर में आरोपियों के ये चल रहे प्रोजेक्ट :-
बताया जाता है कि आरोपियों के साकार कॉरिडोर (बड़ा बांगड़दा), साकार हिल्स (जैतपुरा), सिद्धि विहार (जैतपुरा), साकार कॉरिडोर प्राइम (बड़ा बांगड़दा) में प्रोजेक्ट चल रहे हैं। कलेक्टर कार्यालय में कॉलोनी सेल में धरोहर के रूप में प्लाट बंधक रखकर जुलाई 2021 में विकास अनुमति प्राप्त की गई थी। विभाग द्वारा छह माह में विकास कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए गए थे। कलेक्टर ने आरोपियों के प्रोजेक्ट की जांच करवाई तो पता चला कि ग्राम दतोदा, डॉ. आंबेडकर नगर (महू) स्थित साकार रियल लाइफ कॉलोनी के 8401.82 वर्गमीटर के 79 बंधक भूखंड बेच दिए गए हैं। जिन लोगों को भूखंड बेचे गए थे, उन्होंने भी कीमत बढ़ाकर सौदा कर दिया। नौ अगस्त को कलेक्टर कार्यालय ने नोटिस जारी कर पूछा तो आरोपियों ने 12 अगस्त को स्पष्टीकरण प्रस्तुत कर बंधक भूखंड बेचना स्वीकारा। उन्होंने अविक्रित भूखंड को पुन: बंधक रखने का प्रस्ताव भेजा, जबकि कार्यपूर्णता का प्रमाण पत्र प्राप्त किए बगैर भूखंड बेचना शासन के साथ धोखा है। गुरुवार को तहसीलदार द्वारा संजय और गोपाल के विरुद्ध सिमरोल थाने में लिखित शिकायत की गई। पुलिस ने तत्काल बीएनएस की धारा 318, 61(2), 316(2) और 3(5) के तहत केस दर्ज कर लिया है। रजिस्ट्रार कार्यालय की भूमिका की जांच की जा रही है।
जमीन खरीदे बगैर कागजों पर बेच दिए करोड़ों के प्लाट।
दासौद के विरुद्ध गंभीर शिकायतें हैं। सांवेर रोड स्थित शिवनगरी, सिंबा सिटी के नाम से काटी कॉलोनी में करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है। किसानों से जमीन खरीदे बगैर दासौद ने लोगों को प्री लांचिंग स्कीम में प्लाट बेचकर सैकड़ों करोड़ रुपये एकत्र कर लिए। डायरी पर हुए इन सौदों में रियल एस्टेट से जुड़े दलाल और फर्में जांच के घेरे में हैं।