इंदौर : प्रभु श्रीराम ने संस्कार और मर्यादा का जो आदर्श हमारे सामने रखा वह हर युग में प्रासंगिक है । श्रीराम ने सिर्फ अपने माता, पिता, बंधु ,भगिनी , पत्नी, परिवार के लिए ही त्याग नहीं किए बल्कि तत्कालीन समाज को संगठित और शिक्षित कर एक भयमुक्त आदर्श राज्य की स्थापना की । उन्होंने जाति और छुआछूत से मुक्त समाज के निर्माण के लिए ही 14 वर्षों का वनवास भोगा । उत्तर से दक्षिण तक सारे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा। मनुष्य ही नहीं वानर और पशु पक्षियों से भी उन्होंने समानता का भाव रखा । इसीलिए उन्हें ईश्वर का अवतार कहा गया।
ये विचार इंदौर शहर की प्रसिद्ध कथाकार,लेखिका , शिक्षिका और वक्ता अर्चना मंडलोई ने राजेंद्र नगर में बच्चों के लिए चल रहे ग्रीष्मकालीन बाल संस्कार शिविर के अंतर्गत मंगलवार से प्रारंभ हुई बच्चो के लिए श्रीराम कथा में व्यक्त किए। राजेंद्र नगर राम मंदिर में महाराष्ट्र समाज द्वारा आयोजित संस्कार शिविर में 180 से भी अधिक बच्चे भाग ले रहे हैं। सुबह 7.30 से 10.30 बजे तक चल रहे शिविर में कलात्मक, रचनात्मक गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बच्चे संस्कारित हो इस हेतु श्रीराम रक्षा, नर्मदाष्टक, श्रीराम भजन और देशभक्ति गीत भी बच्चों को सिखाए जा रहे हैं। नृत्यकला में भरतनाट्यम का प्रशिक्षण दिया जा रहा है । श्रीराम के आदर्श जीवन से बच्चे संस्कार ग्रहण करे इस उद्देश्य से सरल, प्रभावपूर्ण व रोचक शैली में रामकथा बच्चों को सुनाई जा रही है।
बच्चो के लिए श्रीराम कथा का क्रम शनिवार तक चलेगा । यह आयोजन सभी बच्चों के लिए खुला है।