युवाओं को बिगाड़ रहा ओ टी टी प्लेटफार्म।
शिक्षा व्यापार बन गई और बड़ो का भय नहीं रहा।
सेवा सुरभि ने शिक्षा परिसर अपराध, समस्या और निदान विषय पर आयोजित की परिचर्चा।
इंदौर : शिक्षक पढ़ाने से अधिक राजनीति करते हैं,विधाथी डमी एडमिशन लेकर कोचिंग क्लासेस में पढ़ रहे हैं।अभिभावकों के पास समय नहीं है।जब समाज में संवादहीनता बढ़ती है तो संवेदना भी खतम होने लगती है। इसीलिए अपराध भी बढ़ रहे हैं।पुलिस भी अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। यदि वह समय पर चेत जाती तो विमुक्ता शर्मा आज जिंदा होती।
ये विचार विभिन्न प्रबुद्ध जनों के है,जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब में संस्था सेवा सुरभि द्वारा आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किए। विषय था शिक्षा परिसर अपराध, समस्या और निदान।
उद्योग बन गए हैं शिक्षा संस्थान।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में समाजसेवी वीरेंद्र गोयल ने कहा कि आज हमने एक दूसरे से बात करना बंद कर दिया है।बड़े बुजर्ग के प्रति ना सम्मान का भाव है और न कोई भय है।परिवार टूटते जा रहे हैं।शिक्षा संस्थान बड़े उद्योग बन गए है और व्यक्ति अधिक स्वार्थी हो गया है।
शिक्षा नॉलेज की बजाय करियर ओरिएंटेड हो गई है।
वरिष्ठ बीजेपी नेता गोविंद मालू ने कहा कि आज की शिक्षा नॉलेज परक होने की बजाय करियर परक हो गई है। बच्चे अधिक उद्दंड हो गए हैं।
समाज में हिंसा तेजी से बढ़ रही।
गांधीवादी विचारक अनिल त्रिवेदी ने कहा कि समाज में हिंसा तेजी से बढ़ती जा रही है।गलत के खिलाफ हमने बोलना बंद कर दिया है। सामूहिक सोच की कमी से अपराध बढ़ रहे हैं।
वर्चुअल दुनिया में खो गए हैं बच्चे।
संस्कृति मंत्रालय के सदस्य भरत शर्मा ने कहा कि आज के बच्चे वर्चुअल दुनिया में जी रहे हैं। इंस्टाग्राम और फेसबुक ही उसके असली दोस्त है।वास्तविकता से उसका कोई नाता नहीं रहा।
छात्र – शिक्षक का पवित्र रिश्ता खत्म हो गया।
डॉ.रजनी भंडारी ने कहा कि यदि पुलिस प्रशासन समय पर चेत जाता तो शायद इतनी बड़ी घटना नहीं होती है। प्राचार्य विमुक्ता शर्मा की मौत ने छात्र और शिक्षक के पवित्र रिश्ते को समाप्त कर दिया है।
समाज से संवेदना खत्म हो गई है।
प्रोफेसर सरोज कुमार ने कहा कि इंदौर में इतनी अमानवीय घटना हो गई और कोई भी संस्था खड़ी नही हुई।क्या इतना मृत समाज है हमारा। सारी संवेदना ही मर गई हैं।
युवाओं में बढ़ती हिंसा चिंताजनक।
रामेश्वर गुप्ता ने कहा कि युवाओं में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति का परिणाम है विमुक्ता शर्मा की हत्या।कैसा क्रूर महिला दिवस बना दिया एक छात्र ने।
मानसिक विकृति का उदाहरण है विमुक्ता शर्मा हत्याकांड।
मनोचिकित्सक अभय पालीवाल ने कहा कि मानसिक विकृति का परिणाम है विमुक्ता शर्मा हत्याकांड।जब मन पर काबू नहीं होता तो यह भयावह स्थिति बनती है।
इस घृणित कृत्य ने शिक्षा जगत को बदनाम किया।
डा.ओ पी जोशी ने कहा यह बहुत ही अमानवीय और घृणित अपराध है जिसने इंदौर के शिक्षा जगत को बदनाम कर दिया।
दिवाकर भाई शाह ने कहा कि काउंसलिंग की जरूरत है। डॉ. संजय लोंढे ने कहा कि योग और ध्यान से मन को शांत किया जा सकता है।
पूर्व महापौर डॉ. उमा शशि शर्मा, किशोर कोडवानी,डॉ. सौरभ पारिख,ज्योति जैन,डॉ. जयश्री सिक्का,पूर्व डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी ,कंचन तारे,ने भी इस दौरान अपने विचार रखते हुए उक्त घटना को इंदौर के दामन पर बदनुमा दाग बताया। परिचर्चा का संचालन अतुल शेठ ने किया ।आभार ओमप्रकाश नरेड़ा ने माना।
परिचर्चा में डॉ. दिव्या गुप्ता,मनीषा गौर,डॉ. रमेश मंगल, राजीव झालानी, डॉ.शंकर लाल गर्ग, जगदीश डगांवकर, नेताजी मोहिते, प्रवीण जोशी,प्रतिभा खंडेलवाल,दीप्ति गौर, सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।अंत में सभी ने 2 मिनट मौन रखकर स्व. विमुक्ता शर्मा को श्रद्धांजलि दी।