🎾 नरेंद्र भाले 🎾
गलती से मिस्टेक तो एक समय समझी भी जा सकती है लेकिन पेट भर कर गलतियां करने के बाद जीत की उम्मीद रखना रेत से तेल निकालने के समान है। ट्रम्पकार्ड के रूप में पोंटिंग ने स्टोइनिस को धवन के साथ आगाज करने भेज दिया। वाॅर्नर ने विशेष रूप से क्लोज में होल्डर को खड़ा किया और उन्होंने स्टोइनिस का कैच छोड़कर गेंदबाजों के लिए आफत का न्यौता दे दिया।
इसके बाद तो स्टोइनिस देखते ही देखते 3 से 38 तक पहुंच गए और वह भी मात्र 27 गेंदों में। विशेष रूप से दूसरे छोर पर धवन लयबद्ध बल्लेबाजी करते रहे और मौके पर चौके जमाते रहे। इन दोनों ने पहले विकेट की साझेदारी में 89 रन 9 ओवर की साझेदारी में ही जोड़ लिए। राशिद खान के इसी ओवर में स्टोइनिस गेंद समझने से पूर्व ही अपने स्टम्प खो बैठे।
फिर राशिद ने धवन 78(50) का आसान कैच छोड़ दिया।इससे भी बड़ा गुनाह शाहबाज नदीम कर बैठे और सजा हैदराबाद को मिली। उन्होंने हेटमायर का कैच छोड़कर संगीन जुर्म कर दिया। हेटमायर ने मात्र 22 गेंदों में 42 रनों की तूफानी पारी खेलकर स्कोरबोर्ड को 189 का सशक्त चेहरा प्रदान कर दिया। संदीप – नटराजन के अंतिम दो ओवर में मात्र 13 रन आए अन्यथा स्कोर निश्चिती 200 पार चला जाता।
पृथ्वी शाॅ को बाहर बैठा कर स्टोइनिस को उपर भेजना वाकई Master Stroke साबित हुआ। जवाबी हमले में रबाडा़ का शानदार याॅर्कर वाॅर्नर के स्टांप ले उड़ा वही स्टोइनिस ने प्रियम गर्ग (17) एवं मनीष पांडे (21)को चलता कर बल्लेबाजी क्रम को झकझोर दिया। जेसन होल्डर (11) को अक्षर पटेल ने वापस भेज दिया।
सारा दारोमदार साइलेंट किलर केन विलियमसन 67 (45) और अब्दुल समद 33 (16) पर आ गया। इस रणजी सत्र में सबसे ज्यादा छक्के उड़ाने वाले समद ने उम्दा अंदाज में विलियमसन के प्रयासों को जिंदा रखा। लेकिन दिन स्टोइनिस का था और उन्होंने रबाडा़ के हाथों विलियमसन को कैच करवाकर सारी उम्मीदों में पलीता लगा दिया। 19वें ओवर में तो रबाडा ने शेष बल्लेबाजों का कबाड़ा ही कर दिया। समद (33) राशिद खान (11) और श्रीवत्स गोस्वामी (0) के विकेट निकालकर हैदराबाद के सूर्योदय के सारे रास्ते बंद कर दिए।
रबाडा़ ने चार विकेट लेकर अपनी पर्पल कैप बुमराह से वापस ले ली वही मार्कस स्टोइनिस ने गेम चेंजर , पावर प्लेयर, और मैन ऑफ द मैच के पुरस्कार जीतकर न केवल अपने वजूद को ऑल राउंडर के रूप में उजागर किया बल्कि पहली बार दिल्ली कैपिटल्स को फाइनल का दरवाजा दिखा दिया। इसमें संदेह नहीं की जीवन दानों के दम पर दिल्ली जीती अवश्य लेकिन खुद की ही गलतियों के कारण हैदराबाद को फाइनल नसीब नहीं हुआ।