उज्जैन : अगर शासन – प्रशासन ठान ले तो कोई भी गरीब बिना इलाज के नहीं रह सकता। मध्यप्रदेश के उज्जैन में मोची का काम करने वाले एक बुजुर्ग की मदद के लिए नेता, अफसर और सामाजिक कार्यकर्ता साथ आ गए। नतीजा ये हुआ कि उक्त बुजुर्ग को नई जिंदगी मिल गई।
उज्जैन के नागदा में रमेश सिन्हा सालों से मोची का काम करते थे। 25 जून को उन्हें पहली बार चक्कर आया। 29 जून को वो दूसरी बार गश खाकर गिर गए। अबकी बार रमेश कोमा में चले गए। उनके इलाज में लगभग 30 हजार का खर्च आना था। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे, इसलिए परिवार वाले उन्हें घर वापस लेकर आ गए।
नेता, समाजसेवी और प्रशासन ने की मदद।
1 जुलाई को किसी ने क्षेत्र की भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष साधना जैन को बुजुर्ग रमेश के काेमा में जाने और इलाज के लिए रुपयों की व्यवस्था नहीं होने की जानकारी दी। साधना जैन ने इस मामले से अपने भाई पंकज मारू जो केंद्रीय दिव्यांगजन सलाहकार बोर्ड भारत सरकार के सदस्य हैं, उन्हें अवगत कराया। मारू ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को बुजुर्ग की स्थिति के बारे में बताकर मदद का अनुरोध किया। गहलोत ने उनके मंत्रालय द्वारा संचालित आंबेडकर फाउंडेशन की जानकारी दी। इसमें अजा एवं जजा वर्ग की जिंदगी पर आए संकट की स्थिति पर उपचार के लिए मदद देने का प्रावधान है।
केंद्रीय मंत्री की ओर से जानकारी मिलते ही मारू ने 2 जुलाई को रमेश सिन्हा को सीएचएल हॉस्पिटल उज्जैन में भर्ती करा दिया। मगर मुसीबत तो अब शुरू होना थी। पता चला कि आंबेडकर फाउंडेशन से सहायता जारी करने के लिए हितग्राही का जाति और आय प्रमाण-पत्र आवश्यक है। ये दोनों ही प्रमाण पत्र बुजुर्गके पास नहीं थे। इसलिए आंबेडकर फाउंडेशन से डेढ़ लाख की सहायता नहीं मिल सकती थी। मारू असहाय हो गए, क्योंकि काेमामें पहुंचे बुजुर्ग की हालत बिगड़ती जा रही थी। मगर उन्होंने हार नहीं मानी।
एक दिन में तैयार हो गए प्रमाण-पत्र।
मारू जानते थे कि एक दिन में जाति और आय प्रमाण-पत्र बनना लगभग असंभव है बावजूद इसके, उन्होंने एसडीएम पुरुषोत्तम कुमार और तहसीलदार विनोद शर्मा से बुजुर्ग रमेश की हालत बताकर मदद का अनुरोध किया। एसडीएम और तहसीलदार ने कुछ घंटों में ही जाति और आय प्रमाण-पत्र बनाकर मारू को उपलब्ध करा दिए। इसमें पटवारी अनिल शर्मा की भी बड़ी भूमिका रही। प्रमाण पत्र की परेशानी दूर होते ही मारू ने दस्तावेज ऑनलाइन दिल्ली भिजवा दिए। इस पर केंद्रीय मंत्री गेहलोत ने 1.50 लाख रुपए स्वीकृत कर सीएचएल हॉस्पिटल को हस्तांतरित भी करवा दिए।
कलेक्टर ने चंद घंटों में बनवा कर दिया आयुष्यमान कार्ड।
6 जुलाई को डॉक्टरों को पता चला बुजुर्ग रमेश को दिल में भी समस्या है। ऐसी स्थिति में सर्जरी का खर्च ही साढ़े चार लाख रुपए है। इतना बड़ा खर्च हाथों हाथ जुटाना मुश्किल था। अचानक मारू को आयुष्मान कार्ड का ख्याल आया। मगर पता चला बुजुर्ग रमेश को छोड़कर परिवार के सभी सदस्यों के आयुष्मान कार्ड है। अब मारू भी हतोत्साहित हो गए। फिर भी उन्होंने कलेक्टर आशीष सिंह को कॉल कर पूरी स्थिति बयां की।
कलेक्टर ने मोबाइल पर ही अधिकारियों को निर्देश देते हुए कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुुरू करने के निर्देश दिए। बुजुर्ग के नाम आयुष्मान कार्ड बनकर तैयार हुआ और कलेक्टर ने मारू के वाट्सएप पर 11 जुलाई को रात 1.35 पर कार्ड भेज दिया। नतीजा रविवार सुबह 11 बजे बुजुर्ग रमेश सिन्हा का ऑपरेशन हो गया। मारू के अनुसार अब बुजुर्ग खतरे से बाहर हैं।
बहरहाल, बुजुर्ग रमेश के मामले में जिस संवेदनशीलता के साथ शासन- प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ता एकजुट होकर आगे आए, ऐसी ही संवेदना हर जरूरतमंद के साथ दिखाई जाए तो कोई भी गरीब बिना इलाज के नहीं रहेगा।