गर्भावस्था के दौरान बालक तेजी से संस्कार ग्रहण करता है..

  
Last Updated:  August 10, 2023 " 08:23 pm"

गर्भस्थ शिशु को उत्तम संस्कार युक्त बातें सुनाएं..

मराठी भागवत कथा में बोले वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री।

राजेंद्र नगर के जवाहर सभागृह में चल रही है मराठी भागवत कथा।

इंदौर : किसी भी महान कार्य को करने के लिए स्वयं का सामर्थ्यवान होना आवश्यक है ही, देवी देवताओं की कृपा होना भी अत्यावश्यक है । यही कारण है की किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति की शुरुआत में देवाताओं को प्रसन्न करने हेतु पूजा और अनुष्ठान किया जाता है।माता की गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ बालक तेजी से संस्कार ग्रहण करता है।अतः इस दौरान बालक को उत्तम संस्कार की बातें सुनाना चाहिए यदि ऐसा नहीं होता है तो बालक में पूर्व जन्म के संस्कार शेष रह जाते हैं।

ये कहना है वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री वैद्य का, वे राजेंद्र नगर स्थित जवाहर सभागृह में चल रही मराठी भागवत कथा में चौथे दिन बोल रहे थे।

श्रीराम मंदिर राजेंद्र नगर स्वर्ण जयंती उत्सव और अधिक मास निमित्त आयोजित की गई भागवत कथा में धनंजय शास्त्री वैद्य ने भगवान नरसिंह प्राकट्य कथा वर्णन के दौरान कहा कि गुलर वृक्ष में नरसिंह देवता का स्थान होता है। गुलर के वृक्ष के फलों से भगवान नरसिंह ने अपने नखों की अग्नि को शांत किया था। श्री शास्त्री ने कहा कि शास्त्रों में वृक्षों की उपयोगिता और गुणों के अनुसार उनका वर्गीकरण हुआ है।उन्होंने कहा कि शत्रु पक्ष पर आक्रमण करते हुए केवल राजा या नेतृत्वकर्ता के गुणों और योग्यता पर ही विचार नहीं करना चाहिए बल्कि यह भी देखना चाहिए की उनके गुरु और सलाहकार कितने योग्य हैं। कमजोर राजा को भी योग्य गुरु अपने कौशल और मार्गदर्शन से विजयी बनाता है ।वामन अवतार की कथा वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि यज्ञ का अर्थ अपने ह्रदय में स्थित सर्व सत्य को ईश्वर को अर्पित करना है। प्रत्येक यज्ञ में अग्नि आवश्यक नहीं है। होम, हवन और याग में अग्नि आवश्यक है। जिसमें सोम की आहुति देते हैं, वह होम कहलाता है। समस्त देवताओं का आव्हान करते हुए जो आहुति दी जाती है उसे याग कहते हैं ।

गुरु महिमा का वर्णन करते हुए धनंजय शास्त्री ने कहा कि गुरु को मानना और जानना दोनों में अंतर है । गुरु को अनुभव के माध्यम से ही जाना जा सकता है इसलिए गुरु पर दृढ़ विश्वास रखना आवश्यक है । जो गुरु पर विश्वास रखता है, गुरु सदैव उसके साथ होते हैं। गुरु संकेत रूप में अपनी बात कहते हैं । कई बार तो गुरु के कहे वाक्य को समझने में वर्षों लग जाते हैं।

भागवत कथा में प्रतिदिन सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं । शुक्रवार को कथा में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की जन्मकथा का वर्णन होगा।

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