महीनों की गहमागहमी, जद्दोजहद व आरोप-प्रत्यारोपों के बाद अंततः दस मार्च को पाँच राज्यों के चुनाव परिणामों की घोषणा चुनाव आयोग ने कर दी। किसी के लिए ये परिणाम अप्रत्याशित रूप से निराशाजनक रहे वहीं कुछ लोगों के लिये लॉटरी निकलने जैसे रहे।
इन चुनावों की सबसे बड़ी विशेषता रही कि मतदाता के मन में क्या है, यह बात जानने के लिए विशेषज्ञों के पास कोई बैरोमीटर नहीं था। मूक मतदाता ने सभी नेताओं को घनचक्कर बना कर रख दिया था। एक्जिट पोल के आकलन को लेकर अनेक चैनल अपनी पीठ जरूर ठोंक रहे हैं। बहरहाल, इन चुनावों ने भाजपा और केजरीवाल के मनोबल को बहुत हद तक बढ़ा दिया है।
यद्यपि बड़े नेता बड़ी सफलता का दावा अवश्य कर रहे थे परन्तु उनकी भाव-भंगिमा में अपेक्षित आत्मविश्वास परिलक्षित नहीं हो रहा था। आम आदमी पार्टी के पंजाब के एक बड़े नेता ने पंजाब में 70 सीटें प्राप्त करने का दावा राष्ट्रीय चैनल पर सार्वजनिक रूप से किया। जमीनी स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं में भी माहौल को देखते हुए कुछ न कुछ आशंका बनी हुई थी। चुनावों के इस दौर में यदि किसी राष्ट्रीय दल को सबसे अधिक क्षति हुई तो वह काँग्रेस है। आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय दल बनने की राह पर आ रही है।
परन्तु पूरा माहौल भाजपामय हो गया है। कर्यकर्ताओं का आत्मविश्वास उछाल मार रहा है। मोदीजी और योगीजी की नीतियों पर जनता की स्वीकृति की मुहर लग गई है। देश, प्रदेश की जनता को प्रजातंत्र का यह हिंसारहित अनुष्ठान पूर्ण होने पर बधाई ।
अभिलाष शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार
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