देश में पत्रकारिता के अब चार विश्वविद्यालय।
इंदौर : वरिष्ठ मीडिया शिक्षक एवं लेखिका प्रो. सुषमा कस्बेकर का कहना है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत में पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में उजले अवसर मौजूद हैं।
प्रो.कस्बेकर स्टेट प्रेस क्लब,मप्र के ‘रूबरू’ कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों से चर्चा कर रही थी। उन्होंने बताया जब सन 1984 में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में पत्रकारिता और जनसंचार का कोर्स प्रारंभ हुआ तब देश में तीन- चार स्थानों पर ही ऐसे कोर्स चल रहे थे। आज देश के अधिकांश कॉलेज और यूनिवर्सिटी में मीडिया के लिए कोर्स संचालित हो रहे हैं।
देश चार पत्रकारिता विश्वविद्यालय कार्यरत।
प्रो. कस्बेकर ने बताया कि हाल ही में सरकार ने नई दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) को भी डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया है।भोपाल, रायपुर और जयपुर में पहले से ही पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी कार्यरत है। प्रो. कस्बेकर ने कहा कि विश्व के अनेक देशों में पत्रकारिता के तौर तरीके बदल रहे हैं। मीडिया में सरकारों का हस्तक्षेप बढ़ने लगा है। हमारे देश में भी हाल ही के वर्षों में पत्रकारिता की तस्वीर कुछ बदली है लेकिन अभी भी देश में बेहतर पत्रकारिता करने के पर्याप्त अवसर और मंच उपस्थित हैं।
मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में भी आई है गिरावट।
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि जैसे हर क्षेत्र में गिरावट आई है, उसी तरह मीडिया शिक्षा में भी गिरावट आई है।इसपर ध्यान देने की जरूरत है।
इस अवसर पर पूर्व कुलपति डॉ.मानसिंह परमार ने कहा कि भारत में जनसंचार के प्रशिक्षण,अध्ययन और अनुसंधान के उजले अवसर है। पत्रकारिता,विज्ञापन, जनसंपर्क जैसे क्षेत्र में डिग्री के माध्यम से अच्छी जॉब पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता शिक्षा में पहले संचार जुड़ा और अब तकनीक भी जुड़ने से इसका महत्व बढ़ गया है।
प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, मुख्य महासचिव नवनीत शुक्ला, संरक्षक रचना जौहरी,मीना राणा शाह, नरेंद्र भाले,किरण मोघे, पंकज क्षीरसागर, मोहनलाल मंत्री, सुदेश गुप्ता, संतोष रुपिता एवं मनीष निगम ने प्रो.कस्बेकर का स्वागत कर प्रतीक चिन्ह भेंट किया।