जनजातीय नृत्य को समर्पित लोकोत्सव के लालबाग में बिखरेंगे रंग

  
Last Updated:  December 22, 2022 " 07:09 pm"

लोकोउत्सव के लिए सजने लगा शिल्प बाजार।

शिल्प बाजार 24 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से प्रारंभ होगा।

जनजातीय लोक नृत्यों की प्रस्तुति 25 दिसंबर से होगी।

इंदौर : देश और मालवा की लोक संस्कृति को संरक्षित व संवर्धित करने के उद्देश्य को लेकर लोक संस्कृति मंच वर्ष भर कई कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

इसी कड़ी में लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी के नेतृत्व में इस वर्ष जनजातीय नृत्य को समर्पित लोकोउत्सव का आयोजन किया जा रहा है। लालबाग परिसर में आयोजित यह लोकोत्सव 24 दिसंबर से प्रारंभ होकर 1जनवरी 2023 तक चलेगा।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी एवं पवन शर्मा ने बताया कि लोकोत्सव के दौरान लोक नृत्य एवं लोक गायन दोनों का संगम देखने को मिलेगा। लोक नृत्य में ढीमराई, कानडा, बधाई, नौरता, राई आदि नृत्य देखने को मिलेंगे तो वहीं भारिया ,कोरकु, बैगा, भील, गोंड एवं कोल जनजाति के नृत्य भी यहां पर देखने को मिलेंगे । गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आसाम छत्तीसगढ़, पंजाब और देश के अन्य प्रांतों के जनजातीय लोक नृत्य भी यहां होंगे। गायन में धर्मा सांवरी गायन ,कारस देव गायन, आल्हा गायन ,ढोलामारु गाथा गायन सुनने को मिलेंगे।

दीपक लवंगडे एवं विशाल गिदवानी ने बताया कि शिल्प बाजार में इस वर्ष मुख्य आकर्षण जम्मू कश्मीर, लद्दाख, दार्जिलिंग आसाम, कर्नाटक ,पश्चिम बंगाल , के शिल्प होंगे जिनमें पश्मीना शाल, कश्मीरी ऊनी स्वेटर, पोचमपल्ली साड़ियां ,जूट वर्क की कलाकृतियां सहित छत्तीसगढ़ का पीतल वर्क, महेश्वरी साड़ियां, नागालैंड का ड्राई फ्लावर ,पंजाब की फुलकारी ,हरियाणा का टेराकोटा, पोकरण से मिट्टी शिल्प आकर्षण का केंद्र रहेंगे। वही आसाम का केन फर्नीचर बास शिल्प भी यहां पर होगा। कार्यालय विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार नई दिल्ली का गांधी शिल्प बाजार विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।

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