इंदौर : शिक्षा के क्षेत्र के प्रतिष्ठित 51वी राउंड स्क्वेयर इंटरनेशनल कांफ्रेंस में हिस्सा लेने इंदौर आए विदेशी स्टूडेंट्स ने रविवार को कम्युनिटी सर्विसेस के तहत कुछ स्कूलों के साथ वृद्धाश्रम, दृष्टिहीन संगठन और कैंसर फाउंडेशन आदि जगहों पर जाकर लोगों से मुलाकात की और कई गतिविधियों में शामिल हुए।
एमरल्ड हाइट्स इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक मुक्तेश सिंह और प्राचार्य सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि राउंड स्क्वेयर कांफ्रेंस का उद्देश्य बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को समाजसेवा के प्रति प्रोत्साहित करना भी है। इसी क्रम में रविवार को विदेशों से आए बच्चों ने बहुत सारी गतिविधियों में हिस्सा लिया। यह बच्चों के लिए किसी मस्ती की पाठशाला की तरह था।
दोस्ती की जुबां ने मिटाई भाषा की दूरी।
नवलखा स्थित जीवनशाला हाई स्कूल की कक्षाएं आम दिनों की तरह रविवार को भी भरी थीं। यहां कुर्सी पर स्थानीय बच्चों के साथ विदेशी बच्चे भी थे। इस स्कूल में अधिकांश बच्चे कमजोर तबके के पढ़ते हैं, जो अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं बोल पाते। वहीं विदेशी बच्चों को हिंदी नहीं आती। इसके बावजूद उन्होंने मिलकर पेंटिंग में रंग भरे। यहां दोस्ती की जुबां के सहारे भाषा की दूरी मिट गई। कक्षाओं का माहौल ऐसा था मानो सभी एक-दूसरे को बहुत लंबे समय से जानते हैं। विदेशी बच्चे सेल्फी ले रहे थे।
स्टूडेंट्स ने खेला सितौलिया और रस्साकशी।
स्कूल में बहुत से खेल भी खिलाए गए, जिसमें चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे देशों के स्टूडेंट्स ने उत्साह से भाग लिया। भारत में खेला जाने वाला पारम्परिक खेल सितौलिया खेलने की बारी आई तो विदेशी स्टूडेंट्स शुरू में तो कुछ झिझके, लेकिन इसके बाद ऐसे रमे मानो बचपन से खेलते आ रहे हों, इनमें बड़ी संख्या लड़कियों की थी। यहां दो टीमें बनाई गई थीं और हर टीम में देसी व विदेशी दोनों स्टूडेंट्स शामिल थे। क्रिकेट और रस्साकशी में भी हाथ आजमाए गए। म्युजिकल चेयर के दौरान लगा कि बच्चे कहीं के भी हों, बच्चे एक से होते हैं। जीत के लिए सभी की शरारतें एक सी थीं।
सेवा कार्य किये। पेड की छाल से रस्सी बनाना सीखा।
राउंड स्क्वेयर इंटरनेशनल कांफ्रेंस में हिस्सा लेने आए विदेशी स्टूडेंट्स ने कम्युनिटी सर्विसेस के तहत रविवार को शहर की विभिन्न संस्थाओं में सेवा कार्य भी किए। इन संस्थाओं में रहने वाले बच्चों को यूनिफॉर्म, टी-शर्ट वितरित की गई जबकि वृद्धाश्रम में चादरें भेंट की गई। इस दौरान विभिन्न गतिविधियों के तहत बच्चों ने मोतीचूर के लड्डू बनाना और पेड़ की छाल से रस्सी बनाने की कला भी सीखी।