नई दिल्ली: वित्तीय संकट के कारण जेट एयरवेज ने अपनी सभी उड़ानें अस्थाई तौर पर बन्द कर दी हैं। इससे उसके 22 हजार कर्मचारियो का भविष्य भी खतरे में पड़ गया है। विमानों का परिचालन बरकरार रखने के लिए जेट प्रबंधन ने बैंकों से 400 करोड़ की वित्तीय मदद का आग्रह किया था पर पहले का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण बैंकों ने नया कर्ज देने से मना कर दिया। इससे जेट की माली हालत खराब होती चली गई और अंततः उसे अपनी सभी उड़ानें रोकने का ऐलान करना पड़ा।
8500 करोड़ का है कर्ज।
सूत्रों के मुताबिक जेट एयरवेज पर 26 बैंकों का कुल 8500 करोड़ रुपए का कर्ज है। इनमें सरकारी के साथ प्रायवेट और विदेशी बैंकों से लिया गया कर्ज भी शामिल है। कर्ज वसूली के लिए बैंकों ने जेट की 32 से 75 फीसदी तक कि हिस्सेदारी बेचने की भी प्रक्रिया शुरू की है।
डीजीसीए ने दोबारा परिचालन की योजना मांगी।
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन डीजीसीए ने जेट एयरवेज से नियमों के तहत उड़ानें दुबारा शुरू करने के लिए योजना बनाकर देने को कहा है। उसने अपनी ओर से पूरी मदद देने की भी पेशकश की है।
इंदौर की एयर कनेक्टिविटी पर पड़ा असर।
26 साल से संचालित जेट एयरवेज कभी 650 उड़ानों का संचालन देशभर इन करती थी। इंदौर से भी सबसे ज्यादा उड़ानों का संचालन जेट ही कर रहा था। तमाम छोटे शहरों को उसने एयर कनेक्टिविटी के जरिये इंदौर से जोड़ दिया था। उसकी उड़ानें बन्द होने से यात्रियों को ज्यादा किराया देकर यात्रा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।