इंदौर: रविवार शाम जैसे सारा शहर दशहरा मैदान पर आयोजित तरुण जत्रा में सिमट आया था। आखरी दिन होने से हर कोई जत्रा का हिस्सा बनने को लालायित था। स्वाद, संस्कृति और मनोरंजन के सागर में डूबकर सभी तृप्त होना चाहते थे। जैसी उम्मीद लेकर वे आये थे वैसा ही उन्होंने पाया भी। ठंड ने भी थोड़ी दरियादिली दिखाई ।इससे जो लोग घरों में दुबके बैठे थे वे भी जत्रा का लुत्फ उठाने पहुंच गए। विभिन्न वस्तुओं के स्टॉल लगाने वाले भी खुश थे कि उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। व्यंजन स्टॉल्स के तो क्या कहने, 50 से अधिक स्टॉल्स पर लजीज व्यंजनों का स्वाद लेने की खानपान के शौकीनों में होड़ सी मची थी। रगड़ा पेटिस, धिरडे, मावे की जलेबी, बासुंदी, फुनके, पूरण पोली, और न जाने कितने ऐसे आइटम थे जिनका स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ गया। व्यंजन स्टॉल्स की खासियत ये थी कि इन सभी का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा था। देवास, ग्वालियर, बुरहानपुर सहित प्रदेश के अन्य स्थानों से आई महिलाओं ने भी यहां स्टॉल्स लगाए थे। यही नहीं फुनके जैसे अनोखे व्यंजन का स्वाद शहर के बाशिंदों को चखाने वाली सपना मराठे तो महाराष्ट्र के नंदुरबार से आई थी।
लावणी ने खूब जमाया रंग।
तरुण जत्रा का मंच अंतिम दिन महाराष्ट्र की लोक कला लावणी से आबाद रहा। मुम्बई से आए कलांरंजन समूह के 15 से अधिक कलाकारों ने लावणी नृत्य से वो रंग जमाया की दर्शक भी उनके साथ थिरकने से खुद को रोक नहीं सके। लावणी गीतो के बोल औरं ढोलकी की थाप पर बिजली की तेजी से स्टेज पर थिरकती नृत्यांगनाएं वो जादुई समां बांध रहीं थी की समूचा माहौल वासंती उल्लास और मस्ती से भर गया। नृत्य के साथ कलाकारों का अंग संचालन, हावभाव और मुद्राभिनय देखते ही बनता था। इन कलाकारों में लावणी क्वीन अम्बिका पुजारी और देवयानी चंद्रगड़कर कई हिंदी- मराठी फिल्मों में भी अपनी लावणी के जलवे बिखेर चुकी हैं।
महापैठणी का संग्राम।
लावणी के पूर्व मंच पर महा पैठणी का संग्राम देखने को मिला। इस कार्यक्रम में भाग लेने की महिलाओं में होड़ मची रही। इसके तहत विभिन्न खेल महिलाओं को खिलाए गए। इसके अलावा उनसे रोचक सवाल- जवाब भी किये गए। अंतिम राउंड में पहुंची प्रथम तीन स्थानों पर रही महिलाओं को पैठणी साड़ी पुरस्कार में दी गई। इस कार्यक्रम का संचालन टीवी एंकर आशीष वझे ने किया।
कृष्ण मुरारी मोघे ने बांटे पुरस्कार
मप्र हाउसिंग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण मुरारी मोघे भी अंतिम दिन जत्रा में पहुंचे। एमआईसी मेम्बर सुधीर देडगे भी उनके साथ थे। उनके हाथों विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं और श्रेष्ठ स्टॉल्स को पुरस्कार वितरित किये गए।
देर रात तक तरुण जत्रा वसंतोत्सव का उल्लास छाया रहा। आखिर में आयोजकों ने अगले साल फिर मिलने का वादा करते हुए जत्रा के औपचारिक समापन की घोषणा की। हालांकि लोगों के मन में ये कसक बनी रही कि काश जत्रा का ये सफर थोड़ा और लंबा होता…।