जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत

  
Last Updated:  June 24, 2024 " 10:14 pm"

इंदौर : स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. द्वारा जाल सभाग्रह् में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के तीसरे दिन भी विभिन्न सत्रों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों से आए पत्रकारों एवं संपादको ने सम सामयिक विषयों पर खुलकर चर्चा की। पहला सत्र अर्थव्यस्था से जुड़ा था। जिसका विषय था 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी और कर्जा। इस विषय पर अर्थशास्त्री डॉ. किशोर गावण्डे, शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी, वरिष्ठ पत्रकार निमिष कुमार दुबे, डेली कॉलेज बिजनेस स्कूल की प्रभारी सोनल सिंह सिसोदिया और टीनू जैन ने अपनी बात रखी।

निमिष् कुमार दुबे ने कहा कि भारत को विकसित बनाने की चर्चा 90 के दशक में उस समय हुई जब वेश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के शब्द चारों और गूंजने लगे। हालाँकि कुछ नेताओ ने हमें बड़े बड़े सपने जरूर दिखाये लेकिन उनको पूरा करने के तरीके नही बिताए। उन्होंने कहा कि चीन का सबसे खराब गुणवत्ता का माल भारत के बाजारों में खपाया जा रहा है।इसका विपरीत असर हमारे उद्योग धंधों पर पड़ रहा है।अगर हम अपने यहाँ चीन का ही माल बेचते रहेंगे तो भारत कभी भी 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था वाला देश नही बन पाएगा।

शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी ने आशावादी होते हुए कहा कि आने वाले कुछ वर्षो में भारत जापान और जर्मनी की अर्थव्यस्था को पीछे धकेल कर दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। इस समय अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी की से बेहतर भारत की विकास दर है। भारत की विकास दर 7 प्रतिशत है जबकि चीन की 5 प्रतिशत, अमेरिका की 2 प्रतिशत, जापान की 3 प्रतिशत और जर्मनी की नगण्य है।

कोठारी ने आगे कहा कि 2030 में भारत का वर्क फोर्स उसकी आबादी का 20 प्रतिशत होगा। मध्यम वर्ग 21 प्रतिशत होगा। आने वाले वर्षो मे भारत का उपभोग बढ़ेगा। भारतीयो की आकांक्षा बढ़ रही है। असंगठित क्षेत्रों का दायरा भी बढ़ा है जिसे अब संगठित क्षेत्र मे बदलना है, हालांकि यह इतना आसान भी नही है। कोठारी ने कहा कि भारत को बड़े बड़े इकोनामिक ज़ोन बनाने होंगे। अधोसरंचना पर अधिक ध्यान होगा, जो वेल्थक्रिएटर है उनके प्रति समाज नकारात्मक भाव नहीं रखे।

वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ.किशोर गावंडे ने कहा कि भारत की आबादी से एक चौथाई आबादी अमेरिका की है लेकिन वह भारत से 15 गुणा अधिक उपभोग की चीजो पर खर्च करता है। यह भारत में संभव नही है। भारत का बजट तो बहुत बड़ा है लेकिन उसका एक भाग वह पुरानी देनदारी और ब्याज पर खर्च करता है। जो लोन हम विकास के लिए विश्व बैंक या आई एम एफ से लेते है उसे हम ब्याज में चुका देते है। ऐसे में भारत को अपनी नीति बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत में आज राजनीतिक स्थिरता है, लेकिन हमें मनुफैक्चरिंग सेक्टर पर अधिक ध्यान देना होगा।

इंदौर के कमिशनर और आईडीए के अध्यक्ष दीपक सिंह ने कहा कि सबसे कठिन विषय अर्थशास्त्र है। जो लोग योजनाएं बनाते हैं और कियांवित् करते है उनकी नीयत साफ होना को चाहिए। भारत विविधता का देश है और यही विविधता इस देश की ताकत है। इस मौके पर अतिथियों ने राष्टीय छायाचित्र प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

अतिथि स्वागत प्रवीण खारीवाल, आकाश चोकसे, संदीप जोशी सोनाली यादव, दीपक मंत्री, सुदेश गुप्ता ने किया। संचालन आलोक वाजपेयी ने किया।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *