जल संसाधन मंत्री के घर धरना देंगे समाजसेवी किशोर कोडवानी

  
Last Updated:  March 30, 2022 " 05:29 pm"

इंदौर : 24 घंटे सबको पानी अमृत योजना को लागू हुए 7 वर्ष बीत गए हैं। 886 करोड़ रुपए की इस योजना पर कहीं अधिक राशि खर्च किए जाने के बावजूद नतीजा सिफर है। बीते 50 वर्षों में नर्मदा के तीन चरण लाए जा चुके हैं, फिर भी आधा इंदौर प्यासा है। दोषपूर्ण जल प्रबंधन के चलते यह हालात बने हैं। शासन- प्रशासन का ध्यान कई बार इस ओर आकर्षित करने के बावजूद बैठक बुलाने का महज आश्वासन दिया जाता रहा। इसी के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी 1 अप्रैल से जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के घर के सामने धरने पर बैठेंगे।
श्री कोडवानी ने बुधवार को जारी अपने बयान में यह बात कही।

जल प्रबंधन पर करोड़ों खर्च पर गड्ढे से भरना पड़ रहा पानी।

किशोर कोडवानी का कहना है कि नर्मदा के तीन चरण व अमृत योजना पर हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद 55 फीसदी शहर वासी बोरिंग का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
24 घंटे पानी देने का दावा तो कब का हवा हवाई हो गया। लोग गड्ढे में उतरकर पानी भरने को मजबूर हैं।

प्राचीन जलस्रोतों की ओर ध्यान नहीं।

कोडवानी के मुताबिक नर्मदा के इंदौर आने से पहले यशवंत सागर, बिलावली व 14 सौ से अधिक कुए- बावड़ियों से इंदौर में पेयजल की आपूर्ति की जाती थी। उससमय पानी का प्रेशर ऐसा होता था कि तीन मंजिल तक पानी आसानी से पहुंच जाता था। अब नर्मदा के तीन चरण लाने के बाद भी जल सप्लाई की हालत बदतर है। प्राचीन जलस्रोतों को दरकिनार कर दिया गया है। उनके रखरखाव व संरक्षण की ओर शासन- प्रशासन का ध्यान नहीं है।

भूजल पुनर्भरण पर कोई काम नहीं।

कोडवानी का कहना है भूजल पुनर्भरण पर स्थानीय निकाय लापरवाह बने हुए हैं।सड़कें कंक्रीट की बना दी गई हैं वहीं बगीचों में मिट्टी- मलबे से भर दिए गए हैं। ज्यादातर निजी व सावजनिक भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं है।

कोडवानी के मुताबिक 50 वर्षों में असफल जल प्रबंधन की व्यापक अध्ययन रिपोर्ट सामने रखने के बाद भी उसपर चर्चा कर समाधान खोजने की चिंता किसी को नहीं है।इसीलिए उन्होंने जल संसाधन मंत्री के घर के सामने 1 अप्रेल से धरना देने का निर्णय लिया है।

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