जिंदगी से भागे नहीं, स्वीकार करें, खुद पर भरोसा रखें

  
Last Updated:  October 14, 2023 " 12:55 am"

आईएमए के वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव में बोली ख्यात अभिनेत्री दिव्या दत्ता।

अपने निजी और फिल्मी जिंदगी के सफर पर बेबाकी के साथ की चर्चा।

इंदौर : ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आईएमए के बैनर तले आयोजित वूमेन लीडरशिप कॉन्क्लेव में बॉलीवुड अभिनेत्री और लेखिका दिव्या दत्ता ने भी शिरकत की। चानी त्रिवेदी ने उनसे बातचीत करते हुए उनकी निजी जिंदगी, फिल्मी सफर और एक लेखिका के बतौर उनकी यात्रा को लेकर कई सवाल किए। प्रतिभागी महिला बिजनेस लीडर्स ने भी अपनी जिज्ञासाओं को लेकर उनसे सवाल किए। दिव्या दत्ता ने बेबाकी के साथ अपनी जिंदगी से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सामने रखा।

17 साल की उम्र में रखा फिल्मी दुनिया में कदम।

दिव्या दत्ता ने बताया कि वे पंजाब के लुधियाना से आती हैं। पिता बचपन में ही चल बसे थे। मां पेशे से डॉक्टर थी,उन्होंने ही हर परिस्थिति का सामना करते हुए उन्हें और छोटे भाई का पालन – पोषण किया। दिव्या ने बताया कि वह पढ़ाई में अच्छी थी पर बड़ी होने पर फिल्मों के प्रति आकर्षण जागा और 17 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मी दुनिया में प्रवेश किया। मां ने उनके इस निर्णय में पूरा साथ दिया। दिव्या दत्ता ने कहा कि फिल्म वीरजारा में निभाए शब्बो के किरदार ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। इस फिल्म से ख्यात निर्माता, निर्देशक यश चोपड़ा के साथ काम करने का उनका सपना भी पूरा हुआ। उसके बाद सिलसिला सा चल पड़ा। वे अलग – अलग भाषाओं में सौ से अधिक फिल्में कर चुकी हैं।

फिल्म जलेबी का किरदार रहा चुनौतीपूर्ण।

दिव्या दत्ता ने कहा कि उन्होंने अलग – अलग तरह के कई किरदार निभाए पर फिल्म जलेबी में निभाया किरदार काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कहा कि वीरजारा के बाद कई ऑफर उन्होंने इसलिए ठुकरा दिए क्योंकि वे एक जैसे किरदार नहीं निभाना चाहती थीं। इसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है।

अमिताभ बच्चन रहे आदर्श।

दिव्या जी ने कहा कि वे अमिताभ बच्चन को अपना आदर्श मानती हैं। वो बचपन से ही उनकी फैन रहीं। अमिताभ और शाहरुख ऐसे कलाकार हैं जो अपने साथी कलाकारों का हौंसला बढ़ाते हैं।

मां को समर्पित की पहली किताब।

दिव्या दत्ता ने कहा कि उनकी अपनी मां के साथ अच्छी बॉन्डिंग रही। उनके साथ एक दोस्ताना रिश्ता रहा। अपनी पहली किताब उन्होंने मां को ही समर्पित की, ‘मी एंड मां’ नामक यह पुस्तक मां – बेटी के रिश्तों पर केंद्रित है। दूसरी किताब ‘द स्टार्स इन माय स्टोरी’ में उन्होंने अपने फिल्मी सफर के अनुभव साझा किए हैं।

जिंदगी से भागे नहीं, स्वीकार करें।

दिव्या दत्ता ने उपस्थित बिजनेस वूमेन लीडर्स से कहा कि जिंदगी से भागने की बजाए उसे स्वीकार करें और गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ें। बाहर जाने की बजाय घर में खुशियां तलाश करें।अपने बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता रखें। उन्होंने खुद पर भरोसा करने और चुनौतियों से लड़ने का जज्बा रखने पर जोर दिया।

पर्यावरण के प्रति जताई चिंता।

दिव्या दत्ता ने बिगड़ते पर्यावरण के प्रति चिंता जताते हुए कहा कि पर्यावरण को संभालकर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

दिव्याजी ने अमृता प्रीतम की और एक स्वरचित कविता भी सुनाई।

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