ज्योतिष और वास्तु के विभिन्न आयामों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में डाला गया प्रकाश

  
Last Updated:  January 8, 2024 " 10:53 pm"

सर्द हवाओ के बीच इंदौर के संस्कृत कॉलेज में सैकड़ों ज्योतिष और वास्तुविदों का रहा जमावड़ा।

वेद रिचा, मानस की चौपाई और संस्कृत श्लोक से माहौल बना आनंद मय।

विभिन्न यूनिवर्सिटीज के प्राध्यापक व स्कॉलर ने रिसर्च पेपर मे गंभीर विषयों पर किया मंथन।

इन्दौर : आजकल हमारे हर पर्व की दो तिथियां बताई जाने से भ्रम की स्थिति पैदा होती है, हमें चाहिए की सनातन धर्म के तमाम विद्वानों को एक जाजम पर बिठाकर एक कैलेंडर तैयार करें, जिसमें मतभिन्नता न हो, ताकि त्योहारों को लेकर दो तिथियों का सिलसिला खत्म हो। इससे आम लोगों को सहूलियत होगी।ये बात भी ज्योतिष और वास्तु पर केंद्रित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने कही। संस्कृत महाविद्यालय और तत्व वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में सर्वश्री अण्णा महाराज, विधायक उषा ठाकुर और प्राचार्य डॉ. तृप्ति जोशी अतिथि के बतौर मौजूद रहे।अध्यक्षता महर्षि पाणिनि संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. विजय मेनन ने की।

संगोष्ठी में पंडित योगेंद्र महंत विक्रम विवि उज्जैन के ज्योतिष विभाग के प्रमुख आचार्य राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर, मप्र ज्योतिष संघ के अध्यक्ष रामचंद्र शर्मा वैदिक, डॉ. विनायक पांडेय, कृपाराम उपाध्याय सहित देशभर से आए विद्वानों ने विभिन्न सत्रों के माध्यम से योतिष और वास्तु विज्ञान को लेकर उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने ज्योतिष और वास्तु के विद्यार्थियों और संगोष्ठी में शिरकत कर रहे लोगों की जिज्ञासाओं को शांत किया। ज्योतिष और वास्तु से जुड़ी भ्रांतियों का निवारण भी विद्वानों ने किया।

विदेशों में भी पढ़ाई जाती है संस्कृत।

संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि संस्कृत हमारी पुरातन भाषा है। इसका संरक्षण करें और ज्ञानवर्धन में सहायक बनाएं। संस्कृत विदेश में भी पढ़ाई जाने लगी है। विदेशो के कई विश्वविद्यालय संस्कृत को महत्व दे रहे हैं और वैज्ञानिक अपनी खोज में संस्कृत का प्रयोग निरंतर कर रहे हैं। इसी प्रकार ज्योतिष और वास्तु हमारे प्राचीनतम ग्रंथ हैं। यह मार्गदर्शन के रूप में हमारे जीवन को श्रेष्ठतम अवसर प्रदान करने में सहायक हैं।

सर्द हवाओ के बीच संपन्न हुई इस संगोष्ठी में इसमें देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी तथा ज्योतिष- वास्तु के विद्वानो ने समसामयिक विषयों पर अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किए।

संगोष्ठी के संयोजक पं. योगेंद्र महंत, समन्वयक आचार्य गोपालदास बैरागी तथा डॉ अभिषेक पांडेय ने बताया कि ने बताया कि दिनभर चले विचार – मंथन के बाद समापन सत्र में मुख्य अतिथि तिरुपति विश्वविद्यालय के आचार्य कृष्णकांत भार्गव थे। विशेष के अतिथि के रूप में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति डॉ राजेश वर्मा मौजूद रहे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *