कड़े नियमों से डीजे बजाना हुआ नामुमकिन।
डीजे के लिए ध्वनि नियंत्रण नियम में 110 डेसिबल तक छूट दिए जाने पर दिया जोर।
कड़े नियमों में सैकड़ों डीजे संचालक और उनके परिवारों पर छा गया है आर्थिक संकट।
इंदौर : डीजे संचालकों ने ध्वनि विस्तारक यंत्रों को लेकर बनाए गए नियमों में बदलाव कर डीजे के लिए ध्वनि का लेवल 110 डेसिबल तक करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने डीजे के लिए 75 डेसिबल की जो सीमा निर्धारित की है, वह पर्याप्त नहीं है। उसको बढ़ाया जाना चाहिए।
इंदौर चलित साउंड एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी शैलेंद्र अहिरवाल व अन्य पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता के जरिए अपनी बात रखते हुए कहा कि डॉ. मोहन यादव सरकार ने ध्वनि नियंत्रण को लेकर जो गाइडलाइन जारी की है, उससे डीजे संचालकों की परेशानी बढ़ गई है। उनका कारोबार ठप हो गया है। वैवाहिक सीजन शुरू होने जा रहा है पर नए नियमों के चलते उन्हें अनुमति लेने के लिए भटकना पड़ रहा है। डीजे संचालकों का कहना था कि राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए तो अधिकारी कोई अडंगा नहीं लगाते पर मांगलिक कार्यों में अनुमति देने में नियमों का हवाला दिया जा रहा है। उनका कहना था कि अधिकांश डीजे संचालक लोन लेकर कारोबार चलाते हैं। ध्वनि नियंत्रण के अतार्किक नियमों के कारण धंधा ठप होने से उनका किश्तें भरना और घर चलाना तक मुश्किल होता जा रहा है। हम सभी बेरोजगार हो गए हैं। विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों में डीजे के साथ ही बारात व जुलूस निकाले जाते हैं।ऐसे में आम नागरिक भी परेशान हैं। डीजे संचालकों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह ध्वनि नियंत्रण के नियमों में संशोधन कर उसकी सीमा 110 डेसिबल तक बढ़ाएं, ताकि उनका कारोबार कुछ हद तक चल सकें। ऐसा नहीं किए जाने पर डीजे संचालकों ने आंदोलन की भी चेतावनी भी दी है।
प्रेस वार्ता में मौजूद इंदौर चलित साउंड एसोसिएशन के प्रकाश पाटीदार, निक्की नायक, अजय केवट, नौशाद खान, संजय विश्वकर्मा, बंटी सोलंकी, शुभम वर्मा, विजय नंदी, राजिक शेख, बंटी व्यास, रवि कुशवाह, सागर बड़ोदिया एवं बंटी कुशवाह ने कहा कि इस संबंध में एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री को इंदौर आगमन पर ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।